नीरज कुमार
सूचना के अधिकार कानून के नजरिए से देखें तो जो व्यक्ति या आवेदक सूचना मांगता है वह प्रथम पक्षकार माना जाता है और जिस विभाग या लोक प्राधिकारी से सूचना मांगता है वह द्वितीय पक्षकार होता है। इस तरह की सूचनाओं में आमतौर पर किसी प्रकार की परेशानी नहीं होती। लेकिन यदि आवेदक द्वारा मांगी जा रही सूचना आवेदक से सीधे-सीधे सम्बंधित न होकर किसी अन्य व्यक्ति से सम्बंधित हो तो यह अन्य व्यक्ति तृतीय पक्ष कहलाता है। तीसरे पक्ष से सम्बंधित व्यक्ति की सूचना को तृतीय पक्ष की सूचना कहा जाता है। सूचना के अधिकार कानून में तृतीय पक्ष की गोपनीयता को संरक्षित करने का प्रावधान है। कानून की धारा 11 में ऐसी सूचनाएं जो किसी पर-व्यक्ति से सम्बंधित होती है, वह सूचना आवेदक को दिए जाने से पूर्व तीसरे पक्षकार से इजाजत लेनी पड़ती है।
ऐसे मामलों में लोक सूचना अधिकारी की जिम्मदारी होती है कि वह आवेदन प्राप्त होने के पांच दिनों के भीतर तीसरे पक्षकार को इस आशय की सूचना देगा तथा अगले 10 दिनों के भीतर सूचना जारी करने की सहमति या असहमति प्राप्त करेगा। लेकिन कानून में यह भी स्पष्ट किया गया है कि ऐसी सूचना जिसको जारी करने में किसी प्रकार का सामाजिक हित सधता हो या तीसरे पक्ष की सूचना को जारी करने से होने वाली संभावित क्षति लोक हित से ज्यादा बड़ी न हो तो उस दशा में मांगी गई सूचना जारी की जा सकती है।
कानून में यह एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी लोक सूचना अधिकारी को है कि वह मांगी गई सूचना तृतीय पक्षकार व लोक हित को अच्छी तरह समझ बूझ कर जारी करे। लेकिन कई मामलों में देखने में आया है कि लोक सूचना अधिकारी व्यक्तिगत स्वार्थ या विभागीय दबाव के चलते तृतीय पक्ष से सम्बंधित धारा 11 का गलत इस्तेमाल सूचनाओं को जारी करने से रोकने में कर रहे हैं। ऐसा होने से इस महत्वपूर्ण एवं लाभकारी कानून का फायदा आम जनता ठीक से नहीं उठा पा रही है। ऐसे समय में सूचना आयुक्तों की जिम्मेदारी काफी बढ़ जाती है कि वह तृतीय पक्ष से सम्बंधित सूचनाओं को जारी करने में लोक हित का विशेष ख्याल रखें जिससे कानून की मूल भावना पारदर्शिता और जवाबदेयता बची रहे। साथ ही गलत तरीके से सूचनाओं को बाधित करने वाले लोक सूचना अधिकारियों पर कानून की धारा के मुताबिक जुर्माना लगाएं एवं उनके खिलाफ अनुशासनात्कम कार्रवाई की भी अनुशंसा करें।
तीसरे पक्ष से सम्बंधित कुछ महत्वपूर्ण फैसले
एक कर दाता द्वारा जमा की गई आयकर रिटर्न की सूचना भी तृतीय पक्ष से सम्बंधित मानी गई है। सूचना आयोग ने एक मामले की सुनवाई के दौरान आयकर रिटर्न की प्रतिलिपि नहीं दिलवाई । आयोग का मानना था कि आयकर रिटर्न से व्यक्ति विशेष की व्यवसायिक गतिविधि का पता चलता है और करदाता द्वारा यह सूचना विभाग को वैश्वासिक संबंधों के तहत दी जाती है, जिसे सार्वजनिक नहीं किया जा सकता। लेकिन इसी तरह के एक दूसरे मामले में आयोग ने आयकर एसेसमेंट की जानकारी सार्वजनिक करने में कोई आपत्ति नहीं जताई। जबकि आयकर असेसमेंट में आयकर रिटर्न से अधिक व्यक्तिगत एवं व्यवसायिक सूचनाएं निहित होती हैं। इसी से समझा जा सकता है कि कानून तो सूचना दिलाने के लिए प्रतिबद्ध है लेकिन सूचना दी जाए या नहीं इसका सारा दारोमदार सूचना आयुक्त पर ही है।
ऐसे कई मामले भी सामने आए हैं जिसमें सूचना आयुक्तों ने वैश्वासिक संबंध में उपलब्ध कराई गई सूचना लोकहित में उपलब्ध कराने के आदेश दिए हैं। ऐसे ही एक मामले में एक दंपत्ति ने सूचना के अधिकार कानून के तहत एक डॉक्टर के शैक्षणिक प्रमाण पत्रों की प्रतिलिपि मांगी। जिसे मेडिकल संस्थान ने देने से मना कर दिया। संस्थान का यह मानना था कि शैक्षणिक प्रमाण पत्रों की प्रतिलिपियां पर-व्यक्ति की व्यक्तिगत सूचना है जिसे दिए जाने से उसकी निजता का हनन होता है। आयोग में सुनवाई के दौरान दंपत्ति ने यह सूचना लोकहित में जारी करने की दलील दी। उनका कहना था कि शैक्षणिक दस्तावेज जिस डाक्टर के मांगे गए हैं, उसने उनके पुत्र का इलाज किया था और उनके पुत्र की इलाज के दौरान मृत्यु हो गई थी। उन्हें संदेह था कि डाक्टर के दस्तावेज फर्जी हैं। आयोग ने भी इस दलील पर सहमति जताई और सूचना जनहित में जारी करने के आदेश दिए।
सूचना के अधिकार कानून के नजरिए से देखें तो जो व्यक्ति या आवेदक सूचना मांगता है वह प्रथम पक्षकार माना जाता है और जिस विभाग या लोक प्राधिकारी से सूचना मांगता है वह द्वितीय पक्षकार होता है। इस तरह की सूचनाओं में आमतौर पर किसी प्रकार की परेशानी नहीं होती। लेकिन यदि आवेदक द्वारा मांगी जा रही सूचना आवेदक से सीधे-सीधे सम्बंधित न होकर किसी अन्य व्यक्ति से सम्बंधित हो तो यह अन्य व्यक्ति तृतीय पक्ष कहलाता है। तीसरे पक्ष से सम्बंधित व्यक्ति की सूचना को तृतीय पक्ष की सूचना कहा जाता है। सूचना के अधिकार कानून में तृतीय पक्ष की गोपनीयता को संरक्षित करने का प्रावधान है। कानून की धारा 11 में ऐसी सूचनाएं जो किसी पर-व्यक्ति से सम्बंधित होती है, वह सूचना आवेदक को दिए जाने से पूर्व तीसरे पक्षकार से इजाजत लेनी पड़ती है।
ऐसे मामलों में लोक सूचना अधिकारी की जिम्मदारी होती है कि वह आवेदन प्राप्त होने के पांच दिनों के भीतर तीसरे पक्षकार को इस आशय की सूचना देगा तथा अगले 10 दिनों के भीतर सूचना जारी करने की सहमति या असहमति प्राप्त करेगा। लेकिन कानून में यह भी स्पष्ट किया गया है कि ऐसी सूचना जिसको जारी करने में किसी प्रकार का सामाजिक हित सधता हो या तीसरे पक्ष की सूचना को जारी करने से होने वाली संभावित क्षति लोक हित से ज्यादा बड़ी न हो तो उस दशा में मांगी गई सूचना जारी की जा सकती है।
कानून में यह एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी लोक सूचना अधिकारी को है कि वह मांगी गई सूचना तृतीय पक्षकार व लोक हित को अच्छी तरह समझ बूझ कर जारी करे। लेकिन कई मामलों में देखने में आया है कि लोक सूचना अधिकारी व्यक्तिगत स्वार्थ या विभागीय दबाव के चलते तृतीय पक्ष से सम्बंधित धारा 11 का गलत इस्तेमाल सूचनाओं को जारी करने से रोकने में कर रहे हैं। ऐसा होने से इस महत्वपूर्ण एवं लाभकारी कानून का फायदा आम जनता ठीक से नहीं उठा पा रही है। ऐसे समय में सूचना आयुक्तों की जिम्मेदारी काफी बढ़ जाती है कि वह तृतीय पक्ष से सम्बंधित सूचनाओं को जारी करने में लोक हित का विशेष ख्याल रखें जिससे कानून की मूल भावना पारदर्शिता और जवाबदेयता बची रहे। साथ ही गलत तरीके से सूचनाओं को बाधित करने वाले लोक सूचना अधिकारियों पर कानून की धारा के मुताबिक जुर्माना लगाएं एवं उनके खिलाफ अनुशासनात्कम कार्रवाई की भी अनुशंसा करें।
तीसरे पक्ष से सम्बंधित कुछ महत्वपूर्ण फैसले
एक कर दाता द्वारा जमा की गई आयकर रिटर्न की सूचना भी तृतीय पक्ष से सम्बंधित मानी गई है। सूचना आयोग ने एक मामले की सुनवाई के दौरान आयकर रिटर्न की प्रतिलिपि नहीं दिलवाई । आयोग का मानना था कि आयकर रिटर्न से व्यक्ति विशेष की व्यवसायिक गतिविधि का पता चलता है और करदाता द्वारा यह सूचना विभाग को वैश्वासिक संबंधों के तहत दी जाती है, जिसे सार्वजनिक नहीं किया जा सकता। लेकिन इसी तरह के एक दूसरे मामले में आयोग ने आयकर एसेसमेंट की जानकारी सार्वजनिक करने में कोई आपत्ति नहीं जताई। जबकि आयकर असेसमेंट में आयकर रिटर्न से अधिक व्यक्तिगत एवं व्यवसायिक सूचनाएं निहित होती हैं। इसी से समझा जा सकता है कि कानून तो सूचना दिलाने के लिए प्रतिबद्ध है लेकिन सूचना दी जाए या नहीं इसका सारा दारोमदार सूचना आयुक्त पर ही है।
ऐसे कई मामले भी सामने आए हैं जिसमें सूचना आयुक्तों ने वैश्वासिक संबंध में उपलब्ध कराई गई सूचना लोकहित में उपलब्ध कराने के आदेश दिए हैं। ऐसे ही एक मामले में एक दंपत्ति ने सूचना के अधिकार कानून के तहत एक डॉक्टर के शैक्षणिक प्रमाण पत्रों की प्रतिलिपि मांगी। जिसे मेडिकल संस्थान ने देने से मना कर दिया। संस्थान का यह मानना था कि शैक्षणिक प्रमाण पत्रों की प्रतिलिपियां पर-व्यक्ति की व्यक्तिगत सूचना है जिसे दिए जाने से उसकी निजता का हनन होता है। आयोग में सुनवाई के दौरान दंपत्ति ने यह सूचना लोकहित में जारी करने की दलील दी। उनका कहना था कि शैक्षणिक दस्तावेज जिस डाक्टर के मांगे गए हैं, उसने उनके पुत्र का इलाज किया था और उनके पुत्र की इलाज के दौरान मृत्यु हो गई थी। उन्हें संदेह था कि डाक्टर के दस्तावेज फर्जी हैं। आयोग ने भी इस दलील पर सहमति जताई और सूचना जनहित में जारी करने के आदेश दिए।
42 टिप्पणियां:
teesre paksh ki bahut achchi vyakhya ki hai. ummid hai rti ki aisi hi vyakhyayen aage bhi padne ko milengi.
आप का आर्टिकिल बहुत सुन्दर है ,क्रपया बताये की प्राइवेट,व्यापारिक समूहों पर भी ये कानून लागू होता है , धन्यवाद(सूर्यकान्त
kya m kotak mahindra bank se kisi ke A/C ki jankari le sakta hu.agar ha to pura vivran dene ki kirpya kare.....kamal hindustani Email kamalsharma440@gmail.com
सूचना का अधिकार कानून 2005 ने देश के आम आदमी को खास बनाया ! संसद व विधानसभा मै सदस्यता को छोडकर आज देश का आम आदमी भी किसी सांसद या विधायक से कम नही है!
सूचना का अधिकार कानून 2005 ने देश के आम आदमी को खास बनाया ! संसद व विधानसभा मै सदस्यता को छोडकर आज देश का आम आदमी भी किसी सांसद या विधायक से कम नही है!
आपकी सराहनीय पहल लोकहित के साथ-साथ न्यायहित के लिए आवश्यक है | आपका अनुकरणीय प्रयास विधिक साक्षरता के लिए आधाभूत धरातल बनेगा कृपया अपना प्रयास जारी रखें ... अमोल मालुसरे https://amolmalusare.wordpress.com/
http://malusareamol.blogspot.in/p/blog-page_9853.html
क्या ग्रामीण बेंक के कर्मचारियों वा अधिकारियों के शेक्षिक परमणपत्र तीसरे पक्ष की सूचना मानी जाएगी ????
क्या सरकारी अध्यापक के शैक्षिक प्रमाण पत्रों की सूचना तीसरे पक्ष की सूचना मानी जायेगी?
क्या सरकारी अध्यापक के शैक्षिक प्रमाण पत्रों की सूचना तीसरे पक्ष की सूचना मानी जायेगी?
कृपया उत्तर दे।
किसी कार्मिक के द्वारा अध्यापक उपस्थिति पंजिका की प्रतिलिपि चाही गई है। क्या इसे दिया जा सकता है चूँकी पंजिका में समस्त कार्मिकों के हस्ताक्षर है जो कि गोपनीयता की श्रेणी में आते होंगे। कृप्या यथाशीघ्र जवाब दें।आपका अनुभव हमारे लिए मार्गदर्शन होगा।
Agar hame kisi criminal ki complaint copy police station se chaiye hogi to police os criminal ko third party banaygi
Railway cti Kota ki main vyaktigat Jankari Mangi Thi .Jo ke Railway niyam Ke adhin Aata Hai ..Mujhe Woh Jankari Dene Se Mana Kiya Gaya. aur ek 8(i )Ke antargat Aata Hai Aisa Mujhe reply Kiya gaya. tha kya ya sahi jawab hai.
बहुत अच्छा है कृपया प्रथम अपीलीय दुतिये अपीलीय के बारे में बताए
क्या शुगर मिल से संबंधित जानकारी जीएसटी की जानकारी उपलब्ध कराना तीसरे पक्ष में माना जाएगा
क्या किसी सरकारी कर्मचारी कि निजी जानकारी या दस्तावेज़ मांगा जा सकता क्या सुचना के अधिकार के तहत में
Sr mene ek principal ke शेक्षिक प्रमाण पत्रों की foto copi सूचना के अधिकार कानून ke जरिए सूचना manga tha pr nhi mila gopniyta ka hawala dete hue nhi diya gya sr principal ke शेक्षिक प्रमाण पत्र phrji hai sr bataiye kese mil skta h
Third party Suchna kis dhara me prapt hogi थर्ड पार्टी सूचना किस धारा के अनुसार प्राप्त की जाए
Nice description.
Kya kisi govt. teacher ke permanant address ki jankari RTI ke andr mangi ja skti hai...plz reply...
यदि किसी व्यक्ति या कंपनी द्वारा विद्युत चोरी किया जा रहा है और मेरे शिकायत पश्चात विद्युत विभाग द्वारा उस व्यक्ति या कंपनी पर कार्यवाही किया गया तो क्या मैं उस शिकायत पर हुए कार्यवाही को सूचना के अधिकार के तहत जानकारी प्राप्त करने का हक रखता हूं या नहीं यदि हां तो कैसे और यदि नहीं तो किस आधार पर
जानकारी प्राप्त करने का हक़ है आपको।उक्त कार्यवाही गोपनीयता या तीसरे पक्ष की श्रेणी में नहीं आता।
Kya kisi karmchar ki suchna di ja sakti h
Mane rojgar karyaly se ye pucha tha 2011-12 kitne logo ne claim apply kiya naam sahit betaye par unhone thard party beta kar naam ki list nhi di kya ye sahi hi
Rajay suchna aayog dega aap is num me call kare 9369974964
Mane parkash. Gudarram mata ka name chotu Devi village bhakarwala teh bilara jodhpur hal village Digarana teh Jaitaran distik pali kariyalay adisnal Sp Pali se 2005suchana=ke
Adisnal sp kariyalay se pic dhara va mukadame ki jankar chai
Adisnal Sp kariyalay se ipc dhara Va mukadame ki jankary chai thard party kaha kar jankari nahi diya
मेरे द्वारा (हीरा लाल स्वर्णकार निवासी ढोसर)ग्राम विकास अधिकारी ढोसर से सरपंचो के नाम व उनका कार्यकाल, उनके कार्यकाल में जारी पट्टे दिनांक सहित, आदि की जानकारी मांगी नही दी गई |क्या करूं?
मेरे द्वारा (हीरा लाल स्वर्णकार निवासी ढोसर)ग्राम विकास अधिकारी ढोसर से सरपंचो के नाम व उनका कार्यकाल, उनके कार्यकाल में जारी पट्टे दिनांक सहित, आदि की जानकारी मांगी नही दी गई |क्या करूं?
मेरे द्वारा (हीरा लाल स्वर्णकार निवासी ढोसर)ग्राम विकास अधिकारी ढोसर से सरपंचो के नाम व उनका कार्यकाल, उनके कार्यकाल में जारी पट्टे दिनांक सहित, आदि की जानकारी मांगी नही दी गई |क्या करूं?
Mere pti ki mrityu ho gyi h or mujhe hospital se mrityu prmad prata nhi diya ja rha..
पहले आवेदन पर जानकारी नही देने पर दूसरी बार आवेदन कैसे ओर किस अधिकारी को करना होगा दूसरी या तीसरी बार भी जानकारी नही देने पर कहा आवेदन करें और कैसे करे कृपा करके बताने का कष्ट करें
देश मे 10 रु का स्टॉप की कमी के कारण rti कार्यकर्ता परेशान है पोस्ट ऑफिस में पोस्टल आर्डर भी उपल्ध नही है और कोई तरीका आवेदन करने के लिए बताए
No, this is third party suchna
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क्या किसी विधुत उपभोक्ता द्वारा विधुत उपयोग किये जाने वाले भूमि का व्योरा दस्तावेज लोक सूचना पदाधिकारी के द्वारा सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 11 के अन्तर्गत नहीं दी जा सकती है!
जबाब देने की कृपा की जाय !
तीसरा पछकार का हित क्या होता है ....जिसको अनिवार्य रूप से
40 दिनों के अंदर सूचना देना होता है ....???
क्या राजस्व विभाग से किसी व्यक्ति के मकान की भूमि के दस्तावेजों से संबंधित सूचना प्राप्त की जा सकती है
स्वयंसेवी संस्था की फर्जी प्रबंधक ने कहा था की संस्था की एक दुकान नाजायज रूप से कब्जा कर रखा है वह थाना दिवस में दी थी क्या मैं उस थाना दिवस की नकल प्राप्त कर सकता हूं उसने धारा 11 के अंतर्गत देने से मना करा है संबंधित अधिकारी ने यह दुकान मेरे पास 35 वर्ष से है और वर्तमान में उस संस्था का कोई भी प्रबंधन नहीं है बावजूद इसके उसने पुलिस से मिलकर मेरी दुकान को खाली कर दिया था और मैं उस समय घर में स्वास्थ्य लाभ कर रहा था मेरे पीछे पुलिस से मिलकर भू माफियाओं से सांठगांठ कर मेरी दुकान के ताले तोड़कर उस पर अवैध रूप से कब्जा कर लिया है अब मैं जब थाना दिवस में दी गई उस शिकायत को मांगता हूं तो वह देने से मना कर रहे हैं इसमें प्रथम पक्ष का कहना है कि मेरी यह सूचना गोपनीय है इसे नहीं दिया जाए क्या यह बात सही है और यदि सही नहीं है तो मैं उस सूचना को कैसे प्राप्त करूं कृपया मेरा आप मार्गदर्शन करें मैं बहजोई जनपद संभल उत्तर प्रदेश का रहने वाला हूं मेरा फोन नंबर 94 128 37 928 है मैं आपसे अपेक्षा करता हूं कि आप मुझे इस संबंध में जानकारी श्री ग्रुप लब्ध करेंगे ऐसी मुझे आशा ही नहीं परंतु पूर्ण विश्वास है कि आप मेरा मार्गदर्शन करेंगे और मैं इस समय बहुत ही परेशान हूं क्योंकि मेरे घर में दिनदहाड़े दोपहर 2:30 बजे डकैती पड़ गई थी और मेरा घर थाने के ठीक सामने हैं मुझे अंदेशा है कि जो भू माफिया है पेशेवर उन्होंने ही गई मेरे ऊपर यह हमला ना बोला हो आप मुझे इस संबंध में बताने का कष्ट करें मैं आपका आभारी रहूंगा क्योंकि मुझे आरटीआई के बारे में जानकारी नहीं है
जनहित की सूचना को तीसरे पक्ष की सूचना का फैसला आने पर उसके विरुद्ध कार्रवाई कहां की जा सकती है शायद आप ज्यादा बता सकते हैं कृपया बताने का कष्ट करें 9414 104888
Mere dawara rti ke tahat khata sankhya 2206/200omprakash putr gangasagar agarwal ke name se sanpurn ptrawali ki nakal mangi gai thi lekin bijli vibhag ne mere ko third party ka darja dekr mna kr diya jabki wo file haweli ke malik ke name jarur thi lekin use haweli me me 35%omprakash ke hise me patner tha our kanuni rup se aaj bhi hu vibhag ke dawara ukt haweli ke malik ko suchna ke babt kisi prakar ka likhit notice bhi tamil nahi krwaya gaya kya me apil kr ke ukt khata ki suchnaprapt kr sakta hu mo. 9784805540
9784805540
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