भारत सरकार ने ऋणग्रस्त किसानों के कर्जमाफी की घोषणा तो कर दी लेकिन बहराइच जिले में बैंक किसानों को यह लाभ देने से बच रहे थे। बैंक द्वारा कर्ज माफी के पात्र किसानों की घोषणा न करने के कारण कर्ज दाता परेशान थे। बैंक किसानों का कर्ज माफ करने के लिए पैसों की मांग भी कर रहे थे। इस संबंध में सूचना के अधिकार का इस्तेमाल किया गया तो समस्त पात्र किसानों की सूची बोर्ड पर लगा दी गई। जिसका नतीजा यह हुआ कि क्षेत्र के 57 किसानों का करीब 32 लाख रूपये का कर्ज माफ हो गया।
आवेदनकर्ता जंग हिन्दुस्तानी ने लखनऊ क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक के जन सूचना अधिकारी को लिखे आवेदन में बैंक की तीन शाखाओं (प्रेमीदास कुटी, चाकूजोत और भिलोरा बासू) के संबंध में जानकारी मांगी। आवेदन में पूछे गए प्रश्न-
1- उपरोक्त शाखा में तैनात बैंक कर्मियों के नाम, पद, पता व वेतनमान की लिखित जानकारी दें
2- उपरोक्त शाखाओं से सम्बंधित उपभोक्ताओं की बैंकवार संख्या की जानकारी दें
3- उपरोक्त शाखाओं से सम्बंधित समस्त ऋणदाताओं की लिखित व प्रामाणिक जानकारी दें। बैंकवार सूची प्रदान करें।
4- उपरोक्त शाखाओं से सम्बंधित समस्त कर्जमाफी के दायरे में आने वाले ऋण दाताओं की बैंकवार सूची प्रदान करें।
5- कर्जमाफी के संबंध में केन्द्र एवं राज्य सरकार द्वारा जारी किए गए समस्त शासनादेशों की प्रामाणिक छायाप्रति उपलब्ध कराएं।
बैंक ने आवेदन में पूछे गए इन प्रश्नों के जवाब तो नहीं दिए क्योंकि इन सवालों के जवाब देने में वे खुद फंस रहे थे। हालांकि आवेदन प्राप्त होने के बाद कर्जमाफी के पात्र किसानों की सूची बैंक के बोर्ड में लगा दी गई। जिससे लोगों को पता चल गया कि उनका कर्ज माफ हुआ है या नहीं। इस तरह सूचना के अधिकार की बदौलत 57 किसानों के नामों की घोषणा बैंक को करनी पड़ी और उनका करीब 32 लाख का ऋण माफ हो गया। आवेदनकर्ता जंग हिन्दुस्तानी ने आवेदन में मांगी गई सूचनाओं की प्राप्ति हेतु राज्य सूचना आयोग में अपील कर दी है और सुनवाई की प्रतीक्षा में हैं।
1 टिप्पणी:
काश जनता को इसकी शिक्षा
(सूचना का अधिकार) भी दी जाती
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