मंगलवार, 6 जनवरी 2009

सूचना अधिकारी को भी नहीं पता कानून के प्रावधान

सूचना के अधिकार के तहत 30 दिन में सूचना न मिलने पर नि:शुल्क सूचना देने का प्रावधान है पर भोपाल के स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी ही इस प्रावधान से अनभिज्ञ हैं। यही कारण है कि डेढ़ महीने में भी सूचना न मिलने पर भोपाल के जानो रे अभियान के कार्यकर्ता प्रशांत कुमार दूबे ने जब प्रथम अपील की तो अधिकारी ने उनसे सूचना देने के लिए पैसे मांगे। एक अक्टूबर को स्वास्थ्य विभाग कार्यालय के अपीलीय अधिकारी को प्रशांत कुमार दूबे ने याद दिलाया कि सूचनाधिकारी कानून की धरा 7 के मुताबिक 30 दिन की अधिकतम समयावधि बीत जाने के बाद सूचना नि:शुल्क मिलनी चाहिए। इस पर अधिकारी भड़क गए और उनके साथ अभद्र व्यवहार करने लगे।
बाद में अधिकारियों ने बताया कि हमें इस प्रावधान की जानकारी नहीं है। आवेदक ने जब उन्हें अधिनियम की प्रति दी और कहा कि इसके आधार पर उन्हें सूचना नि:शुल्क मिलनी चाहिए। अधिकारियों ने आवेदक द्वारा प्रस्तुत किए गए अधिनियम की प्रति की तुरंत छायाप्रति करवाई और कहा कि हमारे पास इसकी प्रति है ही नहीं।
सूचना के अधिकार के तीन वर्ष पूरे होने के बाद भी राज्यों के सचिवालयों में स्थिति यह है कि अधिकारियों को कानून की जानकारी नहीं है और वो उल्टे सूचना मांगने वालों के साथ अभद्र व्यवहार करते हैं। क्या ऐसे अधिकारियों से कानून के ठीक से क्रियान्वयन की उम्मीद की जा सकती है?

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