बुधवार, 7 जनवरी 2009

कांजीहाउस में बंद हुई मनमानी वसूली

सूचना के अधिकार की बदौलत ग्रामीणों से बिछिया बाजार स्थित वन विभाग के कांजीहाउस से गैर कानूनी वसूली बंद हुई है। कांजीहाउस वह स्थान होता है जहां आवारा जानवरों को बंद किया जाता है और निर्धारित शुल्क लेने के बाद ही उन्हें छोड़ा जाता है। बिछिया बाजार के कांजीहाउस में भी जानवरों को छोड़ने के लिए शुल्क निर्धारित था लेकिन गांव के किसी भी निवासी को सही दरें मालूम नहीं थीं। कांजीहाउस मालिक व ठेकेदार ग्रामीणों से निर्धारित दर से कई गुना अधिक शुल्क वसूलते थे। उदाहरण के लिए एक भैंस को छोड़ने के लिए मनमाने तरीके से 150 रूपये लिए जाते हैं। प्रति गाय 100 रूपये, प्रति बकरी 50 से 75 रूपये तक वसूले जाते थे।
कांजीहाउस की ज्यादतियों और मनमानियों से तंग आकर सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. जंग हिन्दुस्तानी ने सूचना के अधिकार के अन्तर्गत दिनांक 25 जून 2007 को जनसूचना अधिकारी, अपर मुख्य जिला पंचायत, बहराइच से आवेदन दाखिल कर इस संबंध में जानकारी मांगी। आवेदन में पूछा गया कि जनपद में कुल कितने कांजीहाउस है और कहां-कहां स्थित हैं? बिछिया बाजार कांजीहाउस की स्थापना कब हुई और अब तक के समस्त ठेकेदारों के नाम बताए जाएं। कांजीहाउस में बंद पशुओं के साथ कैसा व्यवहार होना चाहिए? साथ ही पशुओं को छोड़ने के लिए जुर्माने की दर, सम्बंधित नियमों, शासनादेशों की प्रामाणिक छायाप्रति भी मांगी गई।
जवाब में जो जानकारी मिली वो चौंकाने वाली थी। वसूली जाने वाली जुर्माने की राशि और निर्धारित राशि में काफी अंतर था। पता चला कि जिस भैंस को छोड़ने के लिए 150 रूपये वसूले जाते थे, उसकी निर्धारित जुर्माना राशि 25 रूपये है। इसी तरह बकरी को छोड़ने के लिए 5 रूपये, एक वर्ष तक के बछडे़ के लिए 10 रूपये, ऊँट के लिए 25 और हाथी के लिए 50 रूपये की दर निर्धारित थी। यह जानकारी भी मिली कि भैंस की प्रतिदिन की खुराक 6 रूपये, गाय की 5 रूपये, बकरी की 2 रूपये आदि है।
जानवरों की सही दरों की जानकारी मिलने के लिए बाद जंग हिन्दुस्तानी ने सरकारी दरों को फोटोकॉपी करवाकर जगह-जगह छपवा दीं ताकि गांव के सभी लोगों को सही दरों का पता चल जाए और वे अतिरिक्त शुल्क देने से बचें। इस तरह सूचना के अधिकार कानून की बदौलत बिछिया बाजार का कांजीहाउस अब भ्रष्ट ठेकेदारों से चुंगल से मुक्त हो चुका है।

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