कैसी विडंबना है कि जनता को पानी का महत्व समझाने वाली दिल्ली सरकार के अनेक सरकारी और अर्ध सरकारी संगठन ही पानी के नियमों की धज्जिया उड़ा रहे हैं। यह संगठन पानी संरक्षण के सभी नियमों को ताक पर रख गैरकानूनी तरीके से यमुना के खादर से पानी निकाल रहे हैं। सरकार इन संगठनों पर लगाम लगाने की बजाय सरकार इन्हीं पर मेहरबान दिख रही है।
यमुना जिए अभियान संगठन द्वारा दायर आरटीआई आवेदन के जवाब से पता चला है कि अनेक संगठन यमुना के खादर से बड़ी मात्रा में गैर कानूनी तरीकों से जल का दोहन कर रहे हैं। इनमें दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरशन और एम्मार-एमजीएपफ सहित कई संगठन शामिल हैं। डीएमआरसी एक सूचना पार्क, ऑपरेशन कंट्रोल सेंटर, यमुना बैंक स्टेशन और स्टाफ क्वार्टर का निर्माण यमुना नदी के किनारे कर रहा है। इसी प्रकार एम्मार-एमजीएपफ अक्षरधाम मंदिर के निकट कॉमनवेल्थ खेलों के लिए 1168 आवासीय फ्लेट्स बना रहा है। इनके निर्माण कार्यों में प्रयुक्त होने वाला जल यमुना के आसपास के क्षेत्र से ही निकाला जा रहा है।
यमुना के खादर से पानी निकालने की अनुमति क्या इन संगठनों ने ली है, यही जानने के लिए यमुना जिए अभियान ने केन्द्रीय भू-जल प्राधिकरण में आरटीआई आवेदन डाला। प्राधिकरण ने जवाब दिया कि उसने किसी संगठन को यमुना के खादर से पानी निकालने की अनुमति नहीं दी है। प्राधिकरण ने यह जानकारी भी दी कि इस क्षेत्र से पानी निकालना गैर कानूनी है और पर्यावरण संरक्षण नियम के तहत दंडनीय अपराध् है। केन्द्रीय भू-जल प्राधिकरण द्वारा दिए गए मानचित्रा से पता चलता है कि गाजियाबाद, लोनी बॉर्डर और नोएडा तक का विशाल क्षेत्र यमुना खादर के अन्तर्गत आता है।
संगठन द्वारा दिल्ली जल बोर्ड में दायर एक अन्य अर्जी से पता चला है कि दिल्ली सचिवालय, इंदिरा गाँधी इंडोर स्टेडियम, डीएमआरसी आदि में बोर्ड के पानी के कनेक्शन हैं ही नहीं। माना जा रहा है कि यहां भी पानी गैर कानूनी तरीकों से निकाला जा रहा है। इसके अलावा पानी के कार्यकर्ताओं ने यह भी कहा है कि अक्षरधाम मंदिर भी यमुना के खादर से पानी निकाल रहा है क्योंकि जितना जल दिल्ली जल बोर्ड से उसे मिलता है, वह झील सहित मंदिर की अन्य जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं है।
पानी के कार्यकर्ता मनोज मिश्रा दिल्ली के घटते भू जल स्तर के पीछे इस प्रकार के दोहन को एक बड़ी वजह माने रहे हैं। उन्होंने केन्द्रीय भू जल प्राधिकरण में इसकी शिकायत भी की है, लेकिन अब तक कोई कारवाई नहीं हुई है। मिश्रा और उनके सहयोगी यमुना पर अतिक्रमण और प्रदूषण के ख़िलाफ़ लगभग पिछले 13 महीनों से सत्याग्रह पर बैठे हैं।
मैग्सेसे पुरस्कार प्राप्त राजेन्द्र सिंह सहित पानी के कार्यकर्ताओं का अनुमान है कि यमुना रिचार्ज जोन से प्रतिदिन एक मिलियन गेलन पानी निकाला जा रहा है। उनका कहना है कि यमुना के आसपास की जमीन से निकाले गए पानी के मूल्य की सही गणना संभव नहीं है, लेकिन अनुमान है कि हर साल 9 हजार करोड़ के मूल्य का पानी यहां से निकाला जा रहा है।
जानकारों का मानना है कि यदि यमुना के खादर से इसी तरह पानी को निकाला जाता रहा तो दिल्ली के लोगों के सामने पानी की गंभीर समस्या उत्पन्न हो जाएगी। पानी के कार्यकर्ता दीवान सिंह का कहना है कि यमुना का खादर दिल्ली के भूजल का प्रमुख स्रोत है जो प्राकृतिक रूप से दिल्लीवासियों के लिए पानी की व्यवस्था करता है। उनका कहना है कि विकास के नाम पर जल के इस प्राकृतिक स्रोत को कंक्रीट बिछाकर नष्ट किया जा रहा है, जिसके परिणाम काफ़ी भयानक सिद्ध होंगे।
यमुना जिए अभियान संगठन द्वारा दायर आरटीआई आवेदन के जवाब से पता चला है कि अनेक संगठन यमुना के खादर से बड़ी मात्रा में गैर कानूनी तरीकों से जल का दोहन कर रहे हैं। इनमें दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरशन और एम्मार-एमजीएपफ सहित कई संगठन शामिल हैं। डीएमआरसी एक सूचना पार्क, ऑपरेशन कंट्रोल सेंटर, यमुना बैंक स्टेशन और स्टाफ क्वार्टर का निर्माण यमुना नदी के किनारे कर रहा है। इसी प्रकार एम्मार-एमजीएपफ अक्षरधाम मंदिर के निकट कॉमनवेल्थ खेलों के लिए 1168 आवासीय फ्लेट्स बना रहा है। इनके निर्माण कार्यों में प्रयुक्त होने वाला जल यमुना के आसपास के क्षेत्र से ही निकाला जा रहा है।
यमुना के खादर से पानी निकालने की अनुमति क्या इन संगठनों ने ली है, यही जानने के लिए यमुना जिए अभियान ने केन्द्रीय भू-जल प्राधिकरण में आरटीआई आवेदन डाला। प्राधिकरण ने जवाब दिया कि उसने किसी संगठन को यमुना के खादर से पानी निकालने की अनुमति नहीं दी है। प्राधिकरण ने यह जानकारी भी दी कि इस क्षेत्र से पानी निकालना गैर कानूनी है और पर्यावरण संरक्षण नियम के तहत दंडनीय अपराध् है। केन्द्रीय भू-जल प्राधिकरण द्वारा दिए गए मानचित्रा से पता चलता है कि गाजियाबाद, लोनी बॉर्डर और नोएडा तक का विशाल क्षेत्र यमुना खादर के अन्तर्गत आता है।
संगठन द्वारा दिल्ली जल बोर्ड में दायर एक अन्य अर्जी से पता चला है कि दिल्ली सचिवालय, इंदिरा गाँधी इंडोर स्टेडियम, डीएमआरसी आदि में बोर्ड के पानी के कनेक्शन हैं ही नहीं। माना जा रहा है कि यहां भी पानी गैर कानूनी तरीकों से निकाला जा रहा है। इसके अलावा पानी के कार्यकर्ताओं ने यह भी कहा है कि अक्षरधाम मंदिर भी यमुना के खादर से पानी निकाल रहा है क्योंकि जितना जल दिल्ली जल बोर्ड से उसे मिलता है, वह झील सहित मंदिर की अन्य जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं है।
पानी के कार्यकर्ता मनोज मिश्रा दिल्ली के घटते भू जल स्तर के पीछे इस प्रकार के दोहन को एक बड़ी वजह माने रहे हैं। उन्होंने केन्द्रीय भू जल प्राधिकरण में इसकी शिकायत भी की है, लेकिन अब तक कोई कारवाई नहीं हुई है। मिश्रा और उनके सहयोगी यमुना पर अतिक्रमण और प्रदूषण के ख़िलाफ़ लगभग पिछले 13 महीनों से सत्याग्रह पर बैठे हैं।
मैग्सेसे पुरस्कार प्राप्त राजेन्द्र सिंह सहित पानी के कार्यकर्ताओं का अनुमान है कि यमुना रिचार्ज जोन से प्रतिदिन एक मिलियन गेलन पानी निकाला जा रहा है। उनका कहना है कि यमुना के आसपास की जमीन से निकाले गए पानी के मूल्य की सही गणना संभव नहीं है, लेकिन अनुमान है कि हर साल 9 हजार करोड़ के मूल्य का पानी यहां से निकाला जा रहा है।
जानकारों का मानना है कि यदि यमुना के खादर से इसी तरह पानी को निकाला जाता रहा तो दिल्ली के लोगों के सामने पानी की गंभीर समस्या उत्पन्न हो जाएगी। पानी के कार्यकर्ता दीवान सिंह का कहना है कि यमुना का खादर दिल्ली के भूजल का प्रमुख स्रोत है जो प्राकृतिक रूप से दिल्लीवासियों के लिए पानी की व्यवस्था करता है। उनका कहना है कि विकास के नाम पर जल के इस प्राकृतिक स्रोत को कंक्रीट बिछाकर नष्ट किया जा रहा है, जिसके परिणाम काफ़ी भयानक सिद्ध होंगे।
2 टिप्पणियां:
what happened to the other one?
Very fine......
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