ग्रामीण क्षेत्रों में लोग किस प्रकार सूचना अधिकार के जरिए अपने हक की जमीनी लड़ाई लड़ रहे हैं, इसका उदाहरण उड़ीसा के पुरी जिले के बहराना और कुनंगा गांव में देखने को मिला। गांव में पानी की समस्या को लेकर लगभग 200 महिलाओं का ब्लॉक कार्यालय तक पैदल मार्च करना व 108 आरटीआई आवेदन डालना सफल हुआ है। इन महिलाओं के संघर्ष का यह नतीजा निकला कि प्रशासन गांव में पानी आपूर्ति तुरंत दुरूस्त करने की व्यवस्था करनी पड़ी।
इससे पहले इन ग्रामीण महिलाओं ने प्रशासन से इस संबंध में आरटीआई के जरिए प्रश्न पूछे थे। पानी की समस्या को लेकर खंड विकास अधिकारी को एक ज्ञापन भी सौंपा गया था, जिसमें गांव में पीने के पानी की किल्लत दूर करने की मांग की गई थी। उस समय खंड विकास अधिकारी ने गांव का दौरा करने और उनकी समस्या हो हल करने का आश्वासन दिया था।
दरअसल कोणार्क के निकट स्थित बहराना, कुनंगा, मुरकुंडी, दसबतिया और शारदा आदि गांव के लोग काफी समय से पीने के पानी की किल्लत झेल रहे हैं। बहराना गांव में सरकार द्वारा लगाए गए तीन ट्यूबवेल हैं जिसमें खारा और लोहे की गंध युक्त पानी निकलता है। इस कारण बहुत से ग्रामीणों के रिश्तेदार गांव आने से कतराते हैं। बरसात के मौसम में गांव के लोगों को वर्षा का पानी पीने और खाना बनाने के लिए इस्तेमाल करना पड़ता है। गर्मियों में उन्हें दो किलोमीटर पैदल चलकर नहर से पानी लाना पड़ता है। जो लोग नहर से पानी लाने में असमर्थ हैं, वे तालाब के गंदे पानी से काम चलाते हैं।
गांव में इस प्रकार की पानी की समस्याओं को देखते हुए ग्रामीण महिलाएं एकजुट हुईं। ब्लॉक कार्यालय तक पैदल मार्च किया। इस बारे में 108 आरटीआई आवेदन डालकर अपनी समस्याओं और मांगों को प्रशासन से अवगत कराया और जवाब-तलब किया। आरटीआई के एक साथ इतने आवदेन देख विभाग तुरंत हरकत में आया और उसे गांव की पानी की समस्या दूर करने के लिए उपाय करने पडे़।
इससे पहले इन ग्रामीण महिलाओं ने प्रशासन से इस संबंध में आरटीआई के जरिए प्रश्न पूछे थे। पानी की समस्या को लेकर खंड विकास अधिकारी को एक ज्ञापन भी सौंपा गया था, जिसमें गांव में पीने के पानी की किल्लत दूर करने की मांग की गई थी। उस समय खंड विकास अधिकारी ने गांव का दौरा करने और उनकी समस्या हो हल करने का आश्वासन दिया था।
दरअसल कोणार्क के निकट स्थित बहराना, कुनंगा, मुरकुंडी, दसबतिया और शारदा आदि गांव के लोग काफी समय से पीने के पानी की किल्लत झेल रहे हैं। बहराना गांव में सरकार द्वारा लगाए गए तीन ट्यूबवेल हैं जिसमें खारा और लोहे की गंध युक्त पानी निकलता है। इस कारण बहुत से ग्रामीणों के रिश्तेदार गांव आने से कतराते हैं। बरसात के मौसम में गांव के लोगों को वर्षा का पानी पीने और खाना बनाने के लिए इस्तेमाल करना पड़ता है। गर्मियों में उन्हें दो किलोमीटर पैदल चलकर नहर से पानी लाना पड़ता है। जो लोग नहर से पानी लाने में असमर्थ हैं, वे तालाब के गंदे पानी से काम चलाते हैं।
गांव में इस प्रकार की पानी की समस्याओं को देखते हुए ग्रामीण महिलाएं एकजुट हुईं। ब्लॉक कार्यालय तक पैदल मार्च किया। इस बारे में 108 आरटीआई आवेदन डालकर अपनी समस्याओं और मांगों को प्रशासन से अवगत कराया और जवाब-तलब किया। आरटीआई के एक साथ इतने आवदेन देख विभाग तुरंत हरकत में आया और उसे गांव की पानी की समस्या दूर करने के लिए उपाय करने पडे़।
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