
राजमंगल ने बताया कि जिन 16 एजेन्सी से इन आश्रय गृहों की वस्तुएं खरीदी जाती थीं, उनमें 1५ फर्जी पाई गई हैं। उनका अनुमान है कि इसमें लगभग 20 करोड़ का घोटाला हुआ है और कम से कम दो दर्जन अधिकारी इसमें लिप्त हैं। राष्ट्रीय महिला आयोग की पूर्व अèयक्ष मोहिनी गिरी का इस बारे में कहना है कि इन गृहों में रहने वाले प्रति व्यक्ति पर करीब 4 हजार रूपये खर्च हो ही नहीं सकते। उन्होंने बताया कि अक्सर यहां रहने वाले बुजुर्गों और मानसिक रूप से कमजोर लोगों को ऐसी दवाईयां भी दी जाती हैं, जिससे वह दिनभर सोते रहें। उनके अनुसार ऐसा इसलिए किया जाता है, ताकि कर्मचारिओं को इनकी देखभाल से मुक्ति मिल जाए और खाने की बचत हो।
राजमंगल ने इन आश्रय गृहों में हुई मौतों की जानकारी भी आरटीआई के जरिए मांगी थी। उनका कहना है कि शुरू में विभाग ने यह जानकारी नहीं दी। लेकिन बाद में दबाव के कारण विभाग को इस बारे में जानकारी देनी पड़ी, जो काफ़ी चौंकाने वाली थी। विभाग ने बताया कि 2007 में एक माह के दौरान निर्मल छाया बाल गृह में 12 मौतें हुई हैं। जबकि 2007-08 में चार बाल गृहों में 89 बच्चों की मृत्यु हुई हैं। कुछ मामलों में बच्चों की मौत की वजह पिटाई भी रही है। इन गृहों में होने वाली हर मौत की जानकारी राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग को देना अनिवार्य है, लेकिन आयोग को यह जानकारी नहीं दी गई। आयोग ने दिल्ली सरकार को इस बारे में नोटिस भी जारी किया है, लेकिन सरकार ने इस संबंध में कोई कारवाई नहीं की।
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