पुणे के आरटीआई कार्यकर्ता विहार दुर्वे ने स्थानीय निवासियों की दूषित पानी की अनेक शिकायतें मिलने के बाद आरटीआई के जरिए निगम से जवाब तलब किया। नतीजा, निगम के जल आपूर्ति विभाग ने आदेश दिया है कि पानी की आपूर्ति करने वाले टैंकरों के पानी की गुणवत्ता की पड़ताल होगी। साथ ही कहा गया कि विभाग की मोबाइल लेबोरेट्री वैन पानी की आपूर्ति होने वाले इलाकों में जाकर टैंकरों की जांच करेगी। निगम के अधिकारी प्रमोद निरभावने ने कहा है कि नागरिक निगम कार्यालय, पम्पिंग स्टेशन या वार्ड ऑफिस में आकर पानी की गुणवत्ता की जांच की मांग भी कर सकते हैं। यदि पानी के टैंकरों को रिसता या बिना ढक्कन का पाया गया तो उन पर पांच सौ रुपए का जुर्माना भी होगा। टैंकरों की हालत खराब होने पर उनका उनका टेंडर भी निरस्त कर दिया जाएगा।
विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार विश्व में दस में से एक बीमारी और 6 प्रतिशत मौतों के पीछे दूषित पानी है। भारत में यह स्थिति और भी भयावह है। यहां हर साल 1.03 करोड़ लोगों की मौत होती है जिसमें 7.8 प्रतिशत यानि 7 लाख 8 हजार लोगों की मौत की वजह दूषित पानी बताया गया है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि दुनिया से 9.1 प्रतिशत बीमारियों को सुरक्षित पानी और सैनिटेशन से रोका जा सकता है। ऐसा करके भारत में 15 प्रतिशत बीमारियां रोकी जा सकती हैं। सूचना के बदौलत ही सही निगम ने इस मामले में एक सराहनीय कदम उठाया है।
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