शनिवार, 15 नवंबर 2008

मुख्यमंत्री विवेकाधीन कोष मामला उच्चतम न्यायालय में

मुख्यमंत्री विवेकाधीन कोष सूचना के अधिकार के दायरे में है या नहीं, अब इसका निर्णय उच्चतम न्यायालय करेगा। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री कार्यालय के लोक सूचना अधिकारी द्वारा दायर याचिका के जवाब में मुख्य न्यायाधीश के जी बालाकृष्णन की एक बैंच ने इस मामले में राज्य सूचना आयोग और उनके मुख्य सूचना आयुक्त के विचार मांगे हैं। हाल ही इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनउ बैंच ने मुख्यमंत्री कार्यालय को आदेश दिया था कि वह मुख्यमंत्री विवेकाधीन कोष से एक लाख से अधिक का लाभ पाने वाले लाभार्थियों का ब्यौरा आरटीआई आवेदक को उपलब्ध कराए। यह आवेदन अखिलेश प्रताप सिंह ने दाखिल किया था। उत्तर प्रदेश सूचना आयोग ने इस मामले में मुख्यमंत्री कार्यालय को निर्देश दिया था कि वह 28 अगस्त 2003 से 31 मार्च 2007 के मुख्यमंत्री विवेकाधीन कोष से 1 लाख से अधिक का लाभ पाने वालों को ब्यौरा आवेदक को दे। लेकिन मुख्यमंत्री कार्यालय ने आयोग के आदेश को न मानते हुए इसे उच्च न्यायालय में चुनौती दी। उच्च न्यायालय ने भी आयोग का निर्णय बरकरार रखा। अब उच्च न्यायालय के इस फैसले को अब उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी गई है।

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