सोमवार, 2 मार्च 2009

डीओपीटी के सर्कुलर और अधिसूचनाएँ

सूचना के अधिकार कानून की नोडल एजेन्सी कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) ने इस कानून के संबंध में 10 फरवरी 2009 तक 23 सर्कुलर और 9 अधिसूचनाएँ जारी की हैं, जिन्हें संक्षेप में बताया जा रहा है-
5 दिसंबर 2008 को जारी सर्कुलर में कहा गया कि सभी लोक प्राधिकरण को अकांउट्स ऑफिसर के नाम से आवेदन शुल्क के रूप में दिए गए बैंकर्स, डिमांड ड्राफ्ट और इंडियन पोस्टल ऑर्डर स्वीकार करने होंगे। अन्यथा वे कानून की धारा 20 के तहत जुर्माने के भागी होंगे। ऐसा ही एक सर्कुलर 23 मार्च 2007 को भी जारी किया गया था जिसमें उपरोक्त उप बंधों के अलावा पीआईओ और एपीआईओ की नियुक्ति, पोस्टर ऑर्डर को स्वीकार करना और निश्चित फॉरमेट में आवेदन देने का दवाब न देने की बात कही गई थी।
28 जुलाई 2008 का सर्कुलर डीम्ड पीआईओ से बारे में था। उसमें कहा गया है कि लोक सूचना अधिकारी सूचना देने के लिए अन्य अधिकारी की मदद ले सकता है। यदि वह अधिकारी पीआईओ की मदद नहीं करता तो आयोग उस पर जुर्माना लगा सकता है।
किस प्रारूप में सूचना दी जाएगी, इसे 10 जुलाई 2008 के सर्कुलर में स्पष्ट किया गया है। सर्कुलर में बताया गया है यदि सूचना फोटो कॉपी या फ्लोपी के रूप में सूचना मांगी गई है तो उसी रूप में दी जाए। इसका मलतब यह नहीं है कि अधिकारी सूचना रीशेप करेगा। जिस प्रारूप में सूचना उपलब्ध होगी, उसी में दी जाएगी।
24 जून 2008 के सर्कुलर में सभी पीआईओ को सूचना मांगने वालों को जरूरी मदद देने और विनम्रता से पेश आने की बात कही गई। प्रशिक्षण कार्यक्रमों को करने का जोर भी इसमें दिया गया।
23 जून 2008 के सर्कुलर में आंध्र प्रदेश सरकार द्वारा अपनाए गए सूचना मुहैया कराने के अच्छे कदमों को राज्यों के सभी मुख्य सचिवों और केन्द्र शासित प्रदेशों पर लागू करने की बात पर जोर दिया गया।
आवेदन को ट्रांसफर करने के संबंध में 12 जून 2008 के सर्कुलर में स्पष्ट किया गया है। इसमें बताया गया है यदि आवेदन में मांगी गई सूचना लोक प्राधिकारी से सम्बंधित नहीं है तो उसे सम्बंधित ये यहां भेजा जाएगा और आवेदक को इस बारे में सूचित किया जाएगा। यदि मांगी गई सूचना विस्तृत और एक से अधिक लोक प्राधिकारी से सम्बंधित है तो सूचना मांगने वाले को सम्बंधित लोक प्राधिकारी के पास अलग से आवेदन देने का परामर्श दिया जाएगा।
22 अप्रैल 2008 का सर्कुलर सामान्यत: आवेदन को एक लोक प्राधिकारी से दूसरे प्राधिकारी को प्रेषित करने और विशेष रूप से प्रधानमंत्री कार्यालय को प्रेषित करने के दिशानिर्देशों से सम्बंधित है।
8 नवंबर 2007, 25 और 27 फरवरी 2008 का सर्कुलर आवेदकों, लोक सूचना अधिकारियों, लोक प्राधिकारी और प्रथम अपीलीय अधिकारी के हित में जारी किए गए दिशानिर्देशों से सम्बंधित है।
सूचना के अधिकार कानून की धारा 26(१)(ए) राज्य सरकारों को जनता तक कानून को पहुचांने के लिए शैक्षणिक कार्यक्रम आयोजित करने की बात कहती है। 9 जनवरी 2008 का सर्कुलर सभी राज्यों और संघ शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को कानून के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए गैर सरकारी संगठनों की मदद लेने की बात कहता है।
ऐसे लोक प्राधिकरण में जहां एक से अधिक लोक सूचना अधिकारी नियुक्त किए गए हैं, उनमें आवेदन स्वीकार करने के एक केन्द्रीय बिन्दु स्थापित करने की बात 14 नवंबर 2007 के ज्ञापन में कही गई है।
दूसरे प्रशासनिक सुधार आयोग की सिफारिशों के आधार पर दस्तावेजों को अपडेट करने का जिक्र 14 नवंबर 2007 के अधिसूचना में किया गया है। इसमें सभी लोक प्राधिकारी को अपने दस्तावेजों को दुरूस्त, आधारभूत संरचनाओं को सुधरने और आवश्यक मैनुअल को सार्वजनिक करने को कहा गया।
इसी तारीख का ज्ञापन कानून की दूसरी अधिसूची में वर्णित इंटेलीजेंस और सिक्योरिटी संगठनों में भी लोक सूचना अधिकारी और प्रथम अपीलीय अधिकारी की नियुक्ति का निर्देश देता है।
गोपनीय वार्षिक रिपोर्ट (एसीआर) का स्पष्टीकरण 21 सितंबर 2007 के कार्यालय ज्ञापन में किया गया है। इसमे बताया गया है कि एसीआर कानून की धारा 8(१)(जे) के तहत संरक्षित है फ़िर भी यदि लोक प्राधिकारी पाता है कि एसीआर के सार्वजनिक करने से व्यक्ति विशेष को कोई हानि नहीं है तो इसे सार्वजनिक किया जा सकता है।
31 जुलाई 2007 का सर्कुलर सभी मंत्रालयों और विभागों से उसके लोक प्राधिकारी, सूचना अधिकारी और प्रथम अपीलीय अधिकारियों के विवरणों की सूची की अपेक्षा करता है।
सूचना के अधिकार के तहत प्रथम अपील के दौरान निस्तारण प्रक्रिया अपनाई जाएगी, इसका जिक्र 9 जुलाई 2007 के सर्कुलर में किया गया है। यह सर्कुलर प्रथम अपीलय अधिकारी के लिए बहुत उपयोगी है।
6 अक्टूबर 2005 के सर्कुलर में चुनिंदा पोस्ट ऑफिस को कानून की तहत केन्द्रीय सहायक लोक सूचना अधिकारी के तौर पर अधिसूचित किया गया है।
कानून की धारा 4 मूलत: लोक प्राधिकारी के दायित्वों और स्वेच्छा से सूचनाएं प्रकाशित करने की बात कहता है। 1 जनवरी 2005 का सर्कुलर स्वैच्छिक सूचनाओं के हैंडबुक से सम्बंधित है।
इन सर्कुलर के अलावा डीओपीटी की अधिकांश अधिसूचनाएं आवेदन शुल्क, शुल्क का माध्यम, सूचना शुल्क, अपील प्रक्रिया, दूसरी अधिसूची में संशोधन, सूचना आयोग और आयुक्तों से सम्बंधित हैं।

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