सीआईसी ने दिल्ली विकास प्राधिकरण को आवेदक राजीव सपरा ढाई हजार का हर्जाना देने का आदेश दिया है। डीडीए ने राजीव सपरा को आवेदन दाखिल करने के दस महीने बाद भी पूरी सूचनाएं नहीं दी थीं और उन्हें बेवजह परेशान किया था।
राजीव सपरा ने रोहिणी की हाउसिंग सोसाइटी से जुड़ी सूचनाएं मांगी थीं। उन्होंने जानना चाहा था कि डीडीए के गठन का क्या मकसद है? उन्होंने पूछा कि कानून में यह कहां लिखा है कि डीडीए मुनाफे के लिए जमीन का विकास करेगा या ऐसी अन्य गति विधियां करेगा। डीडीए के इंजीनियर ए के सरीन ने 8 मई 2007 को प्लानिंग कमिश्नर को जो पत्र लिखा, उसका क्या आधार था? कमिश्नर के इस पत्र में रोहिणी का पचास प्रतिशत हिस्सा ग्रुप हाउसिंग सोसाइटी को देने की बात कही गई थी। पत्र यह भी कहा गया था कि कुछ प्लॉट 1981 हाउसिंग स्कीम के तहत लोगों को दिए जाएं।
डीडीए के लोक सूचना अधिकारी ने आवेदन में पूछी गई कुछ जानकारियां तो दीं, लेकिन फैसले का आधार क्या था, इस प्रश्न पर चुप्पी साध ली। मामला मुख्य सूचना आयुक्त वजाहत हबीबुल्ला के यहां गया। हबीबुल्ला ने डीडीए के इस रवैये पर नाराजगी जताई और उसे सूचना देने के आदेश के अलावा ढाई हजार रुपये आवेदक को 15 दिन में देने के आदेश दिए।
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