सोमवार, 2 मार्च 2009

ऑडिट करने पर दर्ज कराया केस

जन वितरण प्रणाली की दुकानों का आरटीआई की धारा 4 बी के तहत ऑडिट करने पर पुरी के आरटीआई कार्यकर्ता रबिन्द्र नाथ नायक के खिलाफ केस दर्ज करा दिया गया है। नायक पुरी के महलपाडा और बदतारा ग्राम पंचायत से सूचनाएं एकत्रित कर रहे थे। बदतारा पंचायत के गढरूपा गांव में जन वितरण प्रणाली की दुकान का जब वे ऑडिट करने गए तो वहां प्रोएक्टिव डिस्क्लोजर का कोई नामो निशान नहीं था। उन्होंने पाया कि त्रिशक्ति स्वयं सहायता समूह की डीलरशिप में राशन की दुकान चल रही थी। इस मामले में जब वे समूह ने मुखिया से मिलने उनके घर गए तो उनके पति मिले जिन्होंने न तो वितरण रजिस्टर दिखाया और न ही प्रोएक्टिव डिस्क्लोजर के बारे में बात की। धारा 4 बी के तहत सूचनाएं जारी करने को कहा तो समूह की मुखिया गुन्नीकंडी ने गोप पुलिस थाने में केस दर्ज करा दिया। नायक का कहना है कि उस महिला को न वे जानते हैं और न ही उससे कभी मिले हैं।
इसके बाद 2 फरवरी को थाने के सहायक सब इंस्पेक्टर नायक के घर आए और उनकी पत्नी से बोले- उन्हें (नायक को) थाने भेज देना नहीं तो अच्छा नहीं होगा। अगले दिन नायक थाने गए तो उन्हें बाद में आने को कहा गया। नायक का कहना है कि उनके पास बदतारा के पूर्व सरपंच के फोन आ रहे हैं और वे थाने आकर समझौता करने की बात कह रहे हैं।
गौरतलब है कि 55 वर्षीय रबिन्द्रनाथ नायक सूचना के अधिकार के जरिए अनेक प्रकार की गड़बड़ियां उजागर कर चुके हैं। उनकी कोशिशों की वजह से ही दो अधिकारियों को 25-25 हजार का जुर्माना लगा है। दोषी अधिकारी के खिलाफ वे एफआईआर भी दर्ज करवा चुके हैं। यही नहीं पुरी के माघ मेले में मिट्टी के तेल घोटाले के बारे में भी उन्होंने खाद्य वितरण एवं उपभोक्ता कल्याण विभाग के कमिश्नर एवं सचिव राज कुमार शर्मा से जवाब तलब किया है। सूचना के अधिकार की बदौलत जमीनी स्तर पर लोगों के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए उन्हें सूचना श्री अवार्ड से भी सम्मानित किया जा चुका है। लेकिन लगता है अधिकारियों रबिन्द्र नायक का काम यह रास नहीं आ रहा है, उनके खिलाफ दर्ज मामला इसका एक उदाहरण है।

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