महाराष्ट्र सूचना आयोग का ऑडिट करने पर पता चला है कि आयोग के छह सूचना आयुक्त प्रतिदिन औसतन 5 अपील या सुनवाइयों को निस्तारित करते है। यानि एक आयुक्त हर माह करीब 150 मामलों पर विचार करता है। ऑडिट से ज्ञात हुआ है कि नागपुर के सूचना आयुक्त विलास पाटिल ने पिछले साल सर्वाधिक 2003 मामले निस्तारित किए। मुंबई के सूचना आयुक्त सुरेश जोशी 1983 मामले निपटाकर दूसरे स्थान पर रहे। नवी मुंबई के सूचना आयुक्त नवीन कुमार सबसे कम 1298 मामले निस्तारित किए तो पुणे के विजय कुवलेकर ने 1728 मामलों का निपटारा किया। ऑडिट के लिए आरटीआई दायर करने वाले भास्कर प्रभु का कहना है यदि सूचना आयुक्त इसी दर से मामलों को सुनेंगे और अपनी गति नहीं बढ़ाएंगे तो शीघ्र ही सूचना के अधिकार से लोगों का विश्वास उठ जाएगा।
गौरतलब है कि राज्य सूचना आयोग में दिसंबर 2008 तक 15026 लंबित मामले थे जो सुनवाई की बाट जोह रहे हैं। ऐसे में सूचना आयुक्तों का धीमा काम कार्यकर्ताओं को नहीं भा रहा है। उनका कहना है कि एक सूचना आयुक्त हर माह 250 से 300 के आसपास मामलों को आसानी से निस्तारित कर सकते हैं। उन्होंने शैलेष गाँधी और अन्नपूर्णा दीक्षित द्वारा एक महीने में निपटाए गए मामलों को मिसाल के तौर पर पेश किया है। अन्नपूर्णा दीक्षित ने एक महीने में 330 और शैलेष गाँधी ने 670 मामलों को निस्तारित कर एक रिकॉर्ड कायम किया है और अन्य सूचना आयुक्तों पर तेजी से काम करने का दबाव बनाया है।
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