
१- मटियापाड़ा गांव के मानव बहरा ने आयोग में शिकायत की थी। 18 जून 2007 से उनका जनहित का मामला प्रथम सुनवाई की प्रतीक्षा में हैं।
२- ताराकोरा के प्रफुल्ल सेनापति 11 अगस्त 2007 से प्रथम सुनवाई का इंतजार कर रहे हैं।
३- सिमली गांव के राजकिशोर बहरा की आयोग में शिकायत करने के बाद 18 अगस्त 2007 से सुनवाई नहीं हुई है।
४- अनसारा गांव के नभाघन मुदुली 6 जुलाई 2006 से अंतिम फैसले की प्रतीक्षा में हैं।
उपरोक्त उदाहरणों की भांति राज्य में ऐसे अनेक जनहित से सम्बंधित मामले हैं जो काफ़ी लंबे समय से लटके पड़े हैं। जनहित के मामलों की सुनवाई शीघ्र करने का प्रावधन है, लेकिन इन उदाहरणों से वस्तुस्थिति का आकलन आसानी से किया जा सकता है। राज्य में जब जनहित के मामलों का यह हाल है तो साधारण अपीलों या शिकायतों का क्या होगा, इसकी महज कल्पना ही की जा सकती है।
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