गुरुवार, 16 अक्तूबर 2008

दिल्ली में तीन साल में लापता हुए 8942 बच्चे

देश की राजधानी दिल्ली में सितंबर 2004 से अगस्त 2007 तक 8942 बच्चे लापता हुए हैं और इनमें से 2086 बच्चों को अब तक नहीं खोजा जा सका है। लापता हुए बच्चों का यह आंकड़ा दिल्ली के 10 में से सिर्फ़ 7 जिलों का है। यह जानकारी पुलिस आयुक्त कार्यालय (अपराध एवं रेलवे) ने आरटीआई आवेदन के जवाब में इंस्टीट्यूट ऑफ़ सोशल साइंस संस्था (आई एस एस) को उपलब्ध कराई है। संस्था ने सूचना के अधिकार के जरिए दिल्ली में गायब हुए बच्चों का ब्यौरा मांगा था।

प्राप्त जानकारी के अनुसार पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन, हजरत निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन और नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से कुल 104 बच्चे गुम हुए हैं। इनमें से 91 बच्चों के केस पुलिस रोजनामचे में दर्ज हैं जबकि 13 मामलों में प्रथम सूचना दर्ज की गई है। इनमें से 61 बच्चों को खोजा जा चुका है और मात्रा 4 अपराधी गिरफ्तार हुए हैं।

पुलिस से प्राप्त जानकारी के अनुसार बाहरी जिले से सर्वाधिक 2924 बच्चे गायब हुए हैं। इनमें से 2227 बच्चे खोजे जा चुके हैं और 697 अब तक लापता हैं। पूर्वी जिले से इन तीन सालों में 2485 बच्चों के लापता होने की जानकारी पुलिस ने दी है। इनमें से 2113 केस रोजनामचे में दर्ज हैं। पूर्वी जिले से गायब हुए बच्चों में से 1753 बच्चे खोजे जा चुके हैं और इन मामलों में 105 व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया है। इसी तरह उत्तर पूर्वी जिले में कुल लापता बच्चों की संख्या 2094 और मध्य जिले में यह संख्या 858 है।

पुलिस द्वारा गायब बच्चों का दिया गया यह आंकड़ा जानकारों के गले नहीं उतर रहा है। उनका कहना है कि पुलिस द्वारा उपलब्ध कराई गई यह जानकारी गायब हुए सभी बच्चों की सच्ची तस्वीर पेश नहीं करती। किरण बेदी के अनुसार बच्चों की गुमशुदगी की जितनी रिपोर्ट पुलिस थानों में दर्ज होती है उससे अधिक रिपोर्ट चाइल्ड हेल्पलाइन के पास दर्ज हैं। यह अंतर इस सच्चाई पर प्रकाश डाल रहा है कि बच्चे अधिक गुम होते हैं परंतु रिपोर्ट कम दर्ज की जाती हैं। दूसरी तरफ़ पुलिस द्वारा खोजे गए बच्चों को जो प्रतिशत बताया गया है, वह भी प्रामाणिक नहीं लगता। क्योंकि आईएसएस संस्था ने अपने सर्वे में लापता बच्चों के जितने परिजनों से बात की, उनसे पता चला कि उनके बच्चे अब तक नहीं मिले हैं। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग एवं अन्य समाजसेवियों का भी कहना है कि दिल्ली में लापता हुए कुल बच्चों में मात्रा 35 प्रतिशत बच्चे ही खोजे जाते हैं। गुम हुए बच्चों में सर्वाधिक 12-19 साल की लड़कियां हैं तथा इनमें से 80 प्रतिशत बच्चे झुग्गी झोपडियों में रहने वाले परिवारों से हैं। संस्था की रिपोर्ट के अनुसार भारत में प्रतिवर्ष 45000 बच्चे लापता होते हैं जिनमें से 11000 बच्चे कभी नहीं मिलते।


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