राजकोट जिले के रंगपुर गांव के 26 साल के रत्ना आल नेत्रहीन जरूर हैं लेकिन उन्हें वह सब गड़बिड़यां दिखाई देतीं हैं जो गांव के अन्य लोगों को नहीं दिखतीं। दसवीं कक्षा तक पढ़ाई करने वाले रत्ना आल सूचना के अधिकार के माध्यम से ग्राम पंचायत द्वारा विकास कार्यों में की गई गड़बिड़यों की पिछले दो सालों से पोल खोल रहे हैं। जो पंचायत रोड़ के मरम्मत, वृक्षारोपड़ आदि विकास कार्यों के दावे करती थी, उसे रत्ना आल ने सूचना कानून के जरिए झूठा साबित किया है। उनके द्वारा सूचना कानून के तहत निकलवाए गए दस्तावेज इस तथ्य की पुष्टि करते हैं। ग्राम पंचायत ने दावा किया था कि उसने 27187 रूपये वृक्षारोपड़, 18503 रूपये सड़क मरम्मत पर व्यय किए गए हैं, जिन्हें वास्तव में कभी खर्च ही नहीं किया गया।
रत्ना ने जब सबसे पहले सूचना कानून के तहत पंचायत से सवाल पूछे तो पंचायत ने उसे बेइज्जत करने में भी कोई कसर नहीं छोड़ी। बाद में दस्तावेजों को लेकर वे कई अधिकारियों से भी मिले लेकिन किसी ने उनकी ओर ध्यान नहीं दिया। रत्ना को इस बात को लेकर बड़ा दुख रहता है कि विकास के नाम पर गांवों में आने वाला धन यहां नहीं पहुंच पाता और ग्रामीणों को जन सुविधाओं के अभाव में जीवन गुजारना पड़ता है। गांव की महिलाएं गर्मियों में जब पानी लाने के लिए दो किलोमीटर पैदल चलकर जाती हैं, तो रत्ना को बड़ी तकलीफ होती है। सूचना कानून को अपने हक की लड़ाई का औजार मानने वाले रत्ना कहते हैं कि मैं अँधा जरूर हूं लेकिन मेरी दृष्टि साफ़ है।
रत्ना ने जब सबसे पहले सूचना कानून के तहत पंचायत से सवाल पूछे तो पंचायत ने उसे बेइज्जत करने में भी कोई कसर नहीं छोड़ी। बाद में दस्तावेजों को लेकर वे कई अधिकारियों से भी मिले लेकिन किसी ने उनकी ओर ध्यान नहीं दिया। रत्ना को इस बात को लेकर बड़ा दुख रहता है कि विकास के नाम पर गांवों में आने वाला धन यहां नहीं पहुंच पाता और ग्रामीणों को जन सुविधाओं के अभाव में जीवन गुजारना पड़ता है। गांव की महिलाएं गर्मियों में जब पानी लाने के लिए दो किलोमीटर पैदल चलकर जाती हैं, तो रत्ना को बड़ी तकलीफ होती है। सूचना कानून को अपने हक की लड़ाई का औजार मानने वाले रत्ना कहते हैं कि मैं अँधा जरूर हूं लेकिन मेरी दृष्टि साफ़ है।
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