शुक्रवार, 3 जुलाई 2009

ब्रिटिश सरकार का काला कारनामा

सूचना का अधिकार कानून एक भ्रष्ट सरकार की चूलें तक हिला सकता है। ब्रिटेन का ताजा राजनैतिक घटना क्रम सबूत है कि अगर जनता को ठीक से इस कानून का इस्तेमाल करने दिया जाए तो जनता के आगे सरकार की ताकत बहुत छोटी पड़ जाती है।
मामला ब्रिटेन मे पत्रकारिता पढ़ाने वाली एक महिला हीदर ब्रुक की सूचना के अधिकार आवेदन से शुरु हुआ जिसमें उन्होनें सांसदों के खर्च का विवरण मांगा था। और आज यही मामला इतना बड़ा हो गया है कि सरकार के कई ताकतवर नेताओं को कुर्सी छोड़नी पड़ी है, यहां तक कि, वहां के लोक सभा (हाउस ऑफ कॉमन्स) के अध्यक्ष, माइकल मार्टिन को भी इस्तीफा देना पड़ा है। ब्रिटेन के 300 साल के संसदीय इतिहास में यह अपनी तरह की पहली घटना है। और इस घटनाक्रम में सबसे उल्लेखनीय बात यही है कि यह सूचना के अधिकार के एक आवेदन और उससे मिले जवाब से उठा तूफान है।
ब्रिटेन में सूचना की स्वतंत्रता (एफओआई एक्ट) कानून के तहत निकली इस खबर ने वहां की राजनीति में तूफान ला दिया है। लेबर पार्टी के प्रधानमंत्री गॉर्डन ब्राउन की हालत ऐसी हो गई है जो अपने दागी सांसदों और अपने उपर लगाए गए आरोपों को न तो निगल पा रहे है और न ही उगल।
दरअसल, मई महीने में ब्रिटेन की एक अखबार द टेलिग्राफ में हाउस ऑफ कॉमन्स के सदस्यों द्वारा जनता के पैसों का दुरुपयोग और शाहखर्ची से सम्बंधित खबर, रोजाना एक सीरीज के रुप में छपी। ये खबर सूचना कानून के इस्तेमाल से निकली है। उपलब्ध सूचना के मुताबिक गलत दावे कर, सांसदों, मंत्रियों ने जनता की कमाई के लाखों पाउंड ऐसे-ऐसे मदों पर खर्च किए हैं, जिसके बारे में सोच कर भारतीय नेताओं को भी शर्म आ जाए। इन आदरणीय सांसदों ने कीट-कैट बार, मसाज़ चेयर, शौचालय के सीट की खरीदारी से ले कर, पाइप रिपेयरिंग, घर के पुननिर्माण, घर के आस-पास के गड्ढे़ भरवाने, गिरवी रखे मकान को छुड़ाने तक के लिए जनता के पैसों का इस्तेमाल किया है।
गॉर्डन ब्राउन ने तो लंदन स्थित अपने फ्लैट की साफ-सफाई के लिए 6000 पाउंड का दावा किया है जो उन्हें अपने भाई को देना था, क्योंकि सफाई का काम उनके भाई ने किया था। और सबसे दिलचस्प दावा तो गृह मंत्री जेक्यू स्मिथ का था, जिन्होंने अपने पति द्वारा अश्लील फ़िल्म देखने के लिए खरीदी गई 2 सीडी के पैसे भी वसूल लिए। अब स्मिथ को इसकी कीमत अपना पद गवां कर चुकानी पड़ी है। ज्यादातर सांसदों ने करदाताओं के पैसों से एक मकान के रहते एक या दो और मकान इस आधार पर ले लिए ताकि वो अपनी संसदीय जिम्मेवारी को ठीक से निभा सकें, और इसकी कीमत भी जनता को ही चुकानी पड़ी। लेकिन सांसदों द्वारा मुनाफा कमा कर इन मकानों को बेचे जाने के मामले भी सामने आए हैं।
विपक्ष के नेता डेविड कैमरुन ने जल्द से जल्द चुनाव कराने की मांग की है। ब्रिटेन में जून 2010 से पहले चुनाव होने है। ब्रिटेन के राजनैतिक विश्लेषकों की माने तो इस घोटाले के कारण लेबर पार्टी के ज्यादातर सांसदों को इस बार चुनाव लड़ने का मौका तक नहीं मिल सकता।

1 टिप्पणी:

बेनामी ने कहा…

भारत में तो एंकंटुर कर दिया जाएगा हा!हा!हा!हा!हा!हा!हा!हा!हा!हा!हा!हा!हा!हा!हा!हा!हा!हा!हा!हा!हा!हा!हा!हा!हा!हा!हा!जय हो भारत
! और यहाँ का लोतंत्र जो काले अँग्रेज चला रहें हैं उनकी भी!