
अधिकारियों ने श्री पॉल की अर्जी का जवाब न देते हुए कहा कि सरकारी अधिसूचना के मुताबिक सुरक्षा विंग आरटीआई के दायरे से मुक्त है। अधिकारियों के इस जवाब से असंतुष्ट शर्मा के वकील सपन धीर ने पंजाब सूचना आयोग के समक्ष दूसरी अपील दायर कर दी है।
गौरतलब है कि संविधान की धारा 21 में राज्य के सभी नागरिकों को सुरक्षा प्रदान करना और कानून व्यवस्था बनाए रखना राज्य का उत्तरदायित्व और कर्तव्य बताया गया है। साथ ही कहा गया है कि जिन लोगों को जान से मारने की धमकी मिली हो, उसे राज्य सरकार की तरफ से सुरक्षा प्रदान की जाएगी, लेकिन इसके पीछे वाजिब वजह होनी चाहिए। संविधान में सुरक्षा प्रदान करने के लिए स्टेटस सिंबल का जिक्र नहीं है, लेकिन सुरक्षा के लिए जान से मारने का धमकी का वास्तविक होना जरूरी है। यदि किसी के मांगने पर सुरक्षा तुरंत प्रदान कर दी जाती है तो सुरक्षा मांगने के कारणों की जांच करना अधिकारियों का काम है।
श्री पॉल का कहना है कि उनकी अर्जी का उद्देश्य यह जानना है कि जनता के धन को राज्य सरकार द्वारा इस प्रकार की सुरक्षा में क्यों व्यर्थ किया जा रहा है।
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