शनिवार, 30 अगस्त 2008

भगौडे़ पति का पता मिला सूचना कानून से

चित्तौड़ की देवासेना ने सूचना कानून के माध्यम से अपने भगौडे़ पति को खोजने में सफलता पाई है। देवासेना की शादी करीब तेरह वर्ष पहले के एल प्रसाद से हुई थी। शादी के कुछ ही महीने बाद श्री प्रसाद ने तलाक के लिए अदालत में अर्जी दी थी। जिसे अदालत ने खारिज कर दी थी। साथ ही आदेश दिया था कि वह दोनों साथ में रहें। लेकिन आदेश के कुछ ही दिन बाद प्रसाद अचानक गायब हो गए। इसके बाद लंबे समय तक प्रसाद का कोई पता नहीं चला। देवासेना को केवल इतना पता था कि उसके पति ओ एन जी सी में कर्मचारी हैं।
परेशान होकर देवासेना ने सूचना के अधिकार कानून के तहत ओ एन जी सी से अपने पति के वर्तमान तैनाती का पता पूछा। साथ ही जानना चाहा कि उसके पति ने अपने वैवाहिक स्थिति के बारे में ओ एन जी सी को क्या जानकारी दी है। जवाब में ओ एन जी सी के जन सूचना अधिकारी ने इसे निजता के अन्तर्गत मानते हुए देने से इन्कार कर दिया।
अन्तत: मामला केन्द्रीय सूचना आयोग के पास गया। जहां देवासेना में अपने दलील में कहा कि अदालत के आदेश के पालन के लिए उसका उनके पति से मिलना आवश्यक है। साथ में उन्होंने अपने विवाह के कागजात भी पेश किए। दोनों पक्षों को सुनने के बाद आयोग ने कहा कि सभी सरकारी उपक्रम को सूचना के कानून की धरा ४ खंड नौ अनुसार अपने अधिकारी और कर्मचारी की सूची स्वयं ही प्रकाशित करनी चाहिए। इसके आयोग ने ओ एन जी सी के सूचना अधिकारी को आदेश दिया कि वह 15 कार्यदिवस के अंदर आवेदक को सूचना उपलब्ध करा दे। इसके बाद ओ एन जी सी ने नियत समय सीमा में देवासेना को सूचना उपलब्ध कर दी।

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