बुधवार, 9 जुलाई 2008

गाजियाबाद नगर निगम ने उड़ाया आरटीआई का मजाक

गाजियाबाद नगर निगम को न तो सूचना के अधिकार की फिक्र है और न ही इस कानून के तहत मांगी गई सूचनाओं की। तभी तो निगम द्वारा न तो नियत समय में जवाब दिया जाता है और न ही मांगी गई सभी सूचनाएं महैया कराई जाती हैं। हैरत की बात तो यह है कि निगम गलत और झूठी सूचनाएं देने से भी नहीं चूकता। निगम के इस रवैये को सूचना के अधिकार कानून का मजाक ही कहा जा सकता है। निगम ने हाल ही में आरटीआई का जवाब एक साल में दिया है, वह भी आधा-अधूरा। यह आधा-अधूरी जवाब भी सूचना आयोग के हस्तक्षेप के बाद दिया गया। निगम की घटिया नागरिक सुविधाओं से त्रस्त होकर शालीमार गार्डन कल्याण समिति ने 23 मई 2007 को आरटीआई दायर की थी। जिसका जवाब करीब एक साल बाद 15 अप्रैल 2008 में दिया गया। समिति ने अपने आवेदन में प्रश्न किया था कि शालीमार गार्डन से संपत्ति कर वसूलने के बदले नगर निगम ने क्या-क्या सुविधाएं उपलब्ध कराईं हैं, इसके लिए कौन अधिकारी उत्तरदायी हैं ? उन्होंने प्रश्न किया कि पिछले पांच वर्षों में यहां की नागरिक सुविधाओं में कितनी राशि खर्च की गई है और अगले 6 महीनों में यहां के लिए क्या योजनाएं हैं ? समिति का आरोप है कि जो सूचनाएं दी गईं हैं वह अधूरी हैं। साथ ही निगम ने अपने एक साल बाद दिए गए जवाब में कहा कि मांगी गई सूचनाएं अभी एकत्र की जा रही हैं। गौरतलब है कि आरटीआई के तहत 30 दिनों में सूचनाएं देने का प्रावधान है।
समिति के पदाधिकारियों का कहना है कि सूचना न देने के दोषी व्यक्ति पर जुर्माना लगना चाहिए लेकिन जुर्माना लगाया गया है या नहीं इस बारे में उनके पास कोई जानकारी नहीं है। समिति से चेयरमेन प्रदीप गुप्ता ने जन सूचना अधिकारी के अलावा प्रथम अपीलीय अधिकारी पर भी मामले का न निपटाने का आरोप लगाया। साथ ही निगम पर गलत सूचनाएं देने का आरोप भी लगाया।

1 टिप्पणी:

Vinod Singh ने कहा…

में गाजियाबाद नगर निगम से कुछ सूचना RTI से निकलवाना चाहता हूँ| नगर निगम की वेबसाइट या कहीं और से मुझे नगर निगम के मुख्यालय का पता नहीं मिल पाया| क्या आप नगर निगम के मुख्यालय का पता बता सकते हैं?

~ विनोद