
प्रदीप प्रजापति ने अपने आवेदन में प्रश्न किया था कि अवकाश में जाने के लिए उपकुलपति किसे सूचित करते हैं ? किसकी अनुमति पर वह राज्य से बाहर जाते हैं ? और उनकी अनुपस्थिति में कौन उनका पदभार संभालता है ? विश्वविद्यालय ने इन सूचनाओं को निजी बताते हुए देने से मना कर दिया था। मामले की सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद आयोग ने कहा कि मांगी गई सूचनाएं व्यक्तिगत नहीं हैं बल्कि लोक सेवक के नाते उनकी सेवा से संबंधित हैं। आयोग ने कहा कि विश्वविद्यालय इस प्रकार की सूचनाएं देने से मना नहीं कर सकते। गौरतलब है कि कानून के अनुसार उपकुलपति को अवकाष लेने के लिए कुलपति अर्थात राज्य के गवर्नर से अनुमति लेना अनिवार्य है।
परिमल त्रिवेदी के खिलाफ आरटीआई की लगभग दस अपील गुजरात सूचना आयोग में सुनवाई और फैसले के इंतजार में हैं। इन अपीलों में विष्वविद्यालय में लिए गए उनके निर्णयों के बारे में जानकारी मांगी गई है। आयोग ने विष्वविद्यालय को एम-एड डिपार्टमेंट में की गई नियुक्तियों के संबंध में एक आदेष भी जारी किया है। परिमल द्विवेदी पर आरोप है कि उन्होंने अपनी पत्नी की विभाग में गैर कानूनी तरीके से नियुक्ति करवाई और अन्य आवेदकों को अनदेखा किया।
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