पुणे नगर निगम के फायर ब्रिगेड अधिकारी स्वेच्छा से किसी भी संवेदनशील इमारत या भवन का निरीक्षण कर सकते हैं और अग्नि सुरक्षा के मानकों पर खरे न उतरने वाली इमारतों या भवनों के खिलाफ कार्रवाई भी कर सकते हैं। आरटीआई की बदौलत पुणे नगर निगम को यह स्पष्टीकरण करना पड़ा है। गौर करने की बात है कि महाराष्ट्र फायर प्रिवेंशन एंड लाइफ सेफ्टी मेजर्स एक्ट 2006 में ऐसा कोई प्रावधन नहीं था। लेकिन अब सूचना के अधिकार के एक आवेदन के दबाव में स्टेट अर्बन डेवलपमेंट विभाग ने इस कमी को दूर कर दिया है।
पुणे के विहार दुर्वे ने निगम से इस संबंध में सूचना के अधिकार के जरिए अनेक सवाल पूछे थे। मसलन, क्या फायर विभाग के अधिकारी स्वेच्छा से किसी निजी परिसर जैसे स्कूल, गोदाम, कॉलेज एवं मॉल आदि दुर्घटना संभावित जगहों का निरीक्षण करते हैं? विहार दुर्वे ने शहर के विभिन्न स्थानों जैसे इमारतों, स्कूलों, अस्पतालों, बस डिपो, मॉल्स, सिनेमा, गैस, पेट्रोल पंप, कैरोसिन डिपो आदि में फायर सुरक्षा के मानकों के जांच करने वाले अधिकारियों के नाम एवं पद आदि पूछे थे। दुर्वे का कहना है कि दिल्ली के उपहार सिनेमा जैसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो, इसके लिए फायर सेफ्टी नियमों को लागू किया जा रहा या नहीं, यही जानने के लिए उन्होंने यह जानकारी मांगी थी। विहार का कहना है कि पुणे फ़िल्म इंस्टीट्यूट ने निरीक्षण करने आए फायर ब्रिगेड के अधिकारियों को प्रवेश नहीं करने दिया था। आए दिन इस तरह की घटनाएं होती रहती थीं।
आवेदन मिलने के बाद सोया हुआ फायर ब्रिगेड विभाग हरकत में आया और उसे इस मामले मे स्पष्टीकरण देने के लिए मजबूर होना पड़ा। पुणे नगर निगम के असिसटेंट डिवीजनल फायर ऑफिसर प्रशांत रणपिसे को कहना पड़ा है कि विभाग स्वेच्छा से किसी भी आग संभावित स्थान का निरीक्षण कर सकता है। यदि स्थान को दुर्घटना संभावित पाया जाता है तो सम्बंधित विभाग को सूचित कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है। प्रशांत रणपिसे का कहना है कि इससे पहले निरीक्षण के लिए जाने वाले फायर ब्रिगेड अधिकारी अनेक तरह के विरोध का सामना करते थे। प्राईवेट भवनों में निरीक्षण के लिए उन्हें अनुमति नहीं मिलती है और उनसे निरीक्षण की चिट्ठी मांगी जाती थी।
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