सूचना का अधिकार फाइलों में दबे तथ्यों को सार्वजनिक करने के अलावा नेताओं द्वारा जनता को दिए जा रहे खोखले और लुभावने वायदों की पोल भी खोल रहा है। ऐसा ही एक वायदा 17 अक्टूबर 2006 कों तात्कालीन रसायन और उर्वरक मंत्री रामविलास पासवान ने एक भाषण में किया था। उन्होंने कहा था कि हर जिले में दवा बैंक बनाए जाएंगे। दिल्ली में दिए गए अपने भाषण में उन्होंने कहा था कि गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों को मुफ्त दवाएं उपलब्ध कराने के लिए देश भर में 600 दवा बैंक खोले जाएंगे और इसे मंजूरी के लिए जल्दी ही केन्द्रीय मंत्रिमंडल के सामने रखा जाएगा। लेकिन वास्तविकता के धरातल पर अब तक इसमें अमल नहीं किया गया है।
फरीदाबाद के रहने वाले जितेन्द्र कुमार ने 2006 में दिए गए इस आश्वासन पर कितना अमल किया गया है, यह जानने के लिए 8 जुलाई 2008 को सूचना के अधिकार का सहारा लिया। जितेन्द्र कुमार ने आवेदन के साथ भाषण वाले अखबार (18 अक्टूबर २००६) की कटिंग भी भेजी। आवेदनकर्ता ने पूछा कि फरीदाबाद और रोहतक जिले में यह दवा बैंक कहां स्थित हैं, हरियाणा के सभी जिलों में दवा बैंक बनाने, उन्हें चलाने में जितना खर्च आया है। आवेदन में यह भी पूछा गया कि इन दवा बैंकों में किन-किन बीमारियों की दवाएं उपलब्ध हैं। इसके अतिरिक्त आवेदक ने जेनेरिक दवाओं के संबंध में भी अनेक प्रकार की जानकारियां मांगी।
मंत्रालय के रसायन एवं पेट्रोरसायन विभाग ने 14 अगस्त 2008 को आवेदन का जवाब दिया जिसने खुद मंत्री के वायदों की झूठा साबित कर दिया। जवाब में कहा गया कि दवा बैंक बनाने का प्रावधान इस विभाग की राष्ट्रीय औषध नीति 2006 में दिया गया है। मंत्रिमंडल ने 11 जनवरी 2007 को संपन्न अपनी बैठक में इस नीति पर विचार किया। यह निर्णय लिया गया कि इस मामले पर पहले मंत्रियों के समूह द्वारा विचार किया जाए। इस मंत्रियों के समूह को अभी मंत्रिमंडल को अपनी सिफारिशें करनी हैं। इस नीति की घोषणा के बारे में कोई निश्चित समय सीमा नहीं बताई जा सकती। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो मंत्री ने दवा बैंक को शीघ्र स्थापित करने का जो वायदा 2006 में किया था, उसे कब तक लागू किया जाएगा, इसकी जानकारी 2008 में भी विभाग के पास नहीं है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें