महाराष्ट्र के मुख्य सूचना आयुक्त सुरेश जोशी पर आरटीआई कार्यकर्ता लंबे समय से कानून के अनुरूप कार्य न करने के आरोप लगाते आए हैं। लेकिन अब नागपुर बेंच के सूचना आयुक्त ने विलास पाटिल ने भी सुरेश जोशी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। विलास पाटिल ने उनकी कार्यप्रणाली पर अनेक सवाल उठाए हैं। पाटिल ने जोशी के खिलाफ गवर्नर और उच्च न्यायालय तक जाने की बात भी कही है।
दोनों आयुक्तों के बीच मतभेद का मूल कारण सुरेश जोशी का तानाशाह रवैया और वह आर्डर है जिसमें उन्होंने कहा था कि वे सूचना आयुक्तों की वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट लिखेंगे। सुरेश जोशी को लिखे पत्र में पाटिल ने कहा कि वे अपने सूचना आयुक्तों के साथ अधीनस्थों की तरह बर्ताव कर रहे हैं जबकि कानून में उनका मुख्य सूचना आयुक्त के समान ही दर्जा है। उनका कहना है कि राज्य सूचना आयोग को पारदर्शिता के संबंध में उनके अनेक सुझावों के बावजूद अमल नहीं किया गया। विलास पाटिल ने अपने कार्यालय में पर्याप्त स्टॉफ उपलब्ध न कराने और उनके आदेशों को वेबसाइट पर अपलोड न करने के आरोप भी मुख्य सूचना आयुक्त कार्यालय पर लगाए हैं।
आरटीआई कार्यकर्ता विजय कुंभर ने सूचना के अधिकार के जरिए दोनों आयुक्तों के बीच हुए पत्र व्यवहार को हासिल किया है, जो दोनों के बीच के मतभेदों को साफ उजागर करते हैं। विजय कुंभर का कहना है कि मुख्य सूचना आयुक्त अन्य आयुक्तों के साथ अच्छा व्यवहार नहीं कर रहे और इस समस्या के लिए वह स्वयं ही जिम्मेदार हैं।
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