गुरुवार, 24 सितंबर 2009

निर्मल होता निर्मल गुजरात अभियान

निर्मल गुजरात अभियान के तहत गुजरात में गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों के लिए लगभग मुफ्त शौचालय बनाने की एक योजना है। लेकिन जमीनी स्तर तक आते-आते इस योजना की हवा निकाल दी गई है। फिलहाल, सूचना के अधिकार कानून के इस्तेमाल से कुछ जिलों में एक बार फ़िर यह योजना पटरी पर आ चुकी है। दरअसल, गुजरात के पंचमहल और कलोल के कुछ लोगों ने नागरिक अधिकार केंद्र नाम की एक गैर सरकारी संस्था से संपर्क कर बताया कि इन लोगों के घरों में इस अभियान के तहत शौचालय का निर्माण नहीं किया गया है, साथ ही ठेकेदार ने इन लोगों से अधिक पैसे भी वसूल लिए हैं। इस योजना के तहत लाभान्वितों को भी अपनी तरफ से एक निश्चित रकम (900 रूपये) देनी होती है। लोगों की इस शिकायत पर संस्था ने सूचना कानून के तहत कलोल नगरपालिका से इस अभियान (शौचालय निर्माण) के संबंध में सवाल पूछे। मसलन, ठेकेदार, अधिकारियों, लाभान्वितों के नाम, ठेका मिली कंपनी को जारी की गई एनओसी इत्यादि के बारे में पूछा गया। लेकिन प्रथम अपील के बाद भी सूचना नहीं मिली। राज्य सूचना आयोग में भी पिछले 14 महीनों से इस मामले पर कोई सुनवाई नहीं हुई।इसके बाद संस्था ने एक और आरटीआई आवेदन नगरपालिका वित्त बोर्ड में डाला और यही सब सवाल पूछे। प्रथम अपील के बाद संस्था को वांछित सूचनाएं मिल गईं। गुजरात सरकार ने मानव सेवा खादी ग्रामोद्योग विकास संघ को इस अभियान के कार्यान्वयन के लिए नोडल एजेंसी नियुक्त किया था। और इस संस्था ने कस्तूरबा महिला सहायक गृह उद्योग सहकारी संघ लि को इस अभियान के लिए ठेका दे दिया था। इतनी जानकारी मिलने के बाद संस्था ने घर-घर जा कर इस योजना की जमीनी हकीकत की जांच पड़ताल शुरु की। रिकॉर्ड के मुताबिक कलोल में 2008-09 के दौरान 150 शौचालय का निर्माण किया जाना था। बकायदा कलोल नगरपालिका के मुख्य अधिकारी ने 111 शौचालय निर्माण के लिए कांट्रेक्टर को भुगतान करने के लिए एनओसी भी जारी कर दी थी। लेकिन संस्था द्वारा की गई जांच से पता चला कि एक भी ऐसा घर नहीं मिला जहां शौचालय निर्माण का कार्य पूरा हो चुका हो। कई जगहों पर तो काम शुरु भी नहीं हो सका था। किसी भी शौचालय को सीवर से नहीं जोड़ा गया था। कुछ लोगों के अधूरे बने शौचालय को यह कह कर ध्वस्त कर दिया गया था कि इसे फ़िर से बनाया जाएगा। कई लोगों से शौचालय निर्माण के नाम पर ज्यादा रकम भी वसूली गई थी। इतनी सूचना एकत्र कर संस्था ने एक रिपोर्ट बनाई और इसे जिलाधाकारी के पास जमा कराया। जिलाधिकारी ने उप जिलाधिकारी को इसकी जांच करने को कहा। उप जिलाधिकारी ने भी संस्था की रिपोर्ट को ही सही ठहाराया। इसके बाद जिलाधिकारी के मासिक बैठक में, जहां नगरपालिका के मुख्य अधिकारी भी उपस्थित थे, जिलाधिकारी ने मुख्य विकास अधिकारी को फटकार लगाई और नौकरी से निकालने और जेल भेजने की चेतावनी दी। साथ ही जिले में सभी जगहों पर इस अभियान के तहत सही ढंग से शौचालय निर्माण करवाने का आदेश दिया। सूचना कानून का ही असर है कि ठेकेदार को फ़िर से सभी शौचालयों का निर्माण कराना पड़ा है। सीवर से भी इन शौचालयों को जोड़ा जा रहा है। जिन लोगों से अधिक पैसे लिए गए थे, उनके पैसे लौटाए गए।

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