दिल्ली के मंगोलपुरी में रहने वाले दिनेश कुमार ने आरटीआई की एक अर्जी क्या डाली, दो साल से रुका इंश्योरेंस क्लेम का पैसा एक महीने में मिल गया। दरअसल, पेशे से वेल्डर दिनेश का दिनांक 3 दिसंबर 2006 को एक दुर्घटना में चेहरा और गर्दन जल गए थे। सर्वेयर और डॉक्टर ने भी दुर्घटना की पुष्टि कर ठीक हो जाने पर क्लेम लेने को कहा था। ठीक हो जाने पर दिनेश ने क्लेम के लिए जरूरी कागजों को तैयार कर लिया लेकिन इसी दौरान उन्हें गांव जाना पड़ गया। जिस कारण वे समय पर क्लेम से सम्बंधित कागज जमा नहीं कर पाए। न्यू इंडिया इंश्योरेंस बीमा कंपनी ने कुछ देरी होने पर कागज जमा करने और क्लेम देने से मना कर दिया। दिनेश ने कागज डाक से भेज दिए लेकिन फ़िर भी क्लेम का पैसा नहीं मिला।
अपना पन्ना के जरिए आरटीआई के बारे में जानने के बाद उन्होंने 6 अक्टूबर 2008 को जीवन भारती बिल्डिंग में कंपनी के लोक सूचना अधिकारी को आवेदन जमा किया जिसमें उन्होंने उन लोगों के नाम और पद पूछे जिन्हें इस मामले में कार्रवाई करनी थी। आवेदन जमा होने के बाद हडकंप मच गया। अधिकारियों ने आवेदक को अनेक बार फोन करके बड़ी नरमी से बात की और कहा कि हमसे कागज खो गए हैं, आपके पास जो भी कागज हों उन्हें जमा करा दें, उसी के आधर पर आपको क्लेम दे दिया जाएगा। साथ ही यह भी कहा कि यदि आप कागज नहीं देंगे तो हमारी नौकरी चली जाएगी। फ़िर क्या था, दिनेश ने कागज जमा करा दिए और उन्हें क्लेम के 7 हजार रुपये का चैक मिल गया।
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