उडीसा वन विकास निगम में सेक्सशनल सुपरवाईजर के पद पर पिछले सात सालों से कार्यरत गणपति बहरा का प्रमोशन नहीं हुआ था जबकि उनके कई जूनियरों को प्रमोशन दे दिया गया। हर बार प्रमोशन के वक्त उनकी वरिष्ठता और मेहनत की उपेक्षा की गई। उनकी कार्यप्रणाली और लगन में किसी तरह की कमी नहीं थी। अनेक अधिकारियों ने उनकी एसीआर की तारीफ करते हुए उनकी तरक्की की सिफारिश भी की थी लेकिन प्रमोशन समिति के कानों में इस सिफारियों का कोई असर नहीं हुआ।
विभाग के भीतर इस कदर भ्रष्टाचार और अन्याय को देखते हुए आरटीआई कार्यकर्ता आनंद सामल ने उनके पक्ष में आवाज उठाई और आरटीआई आवेदन से विभाग के लोक सूचना अधिकारी से इस संबंध में जवाब तलब किया। हद तो उस समय हो गई जब लोक सूचना अधिकारी ने आरटीआई आवेदन का कोई जवाब नहीं दिया। विभाग के इस रवैये को देखते हुए आवेदक आनंद ने 35 दिनों तक सूचना का इंतजार करने के बाद सीधे आयोग में इसकी शिकायत की। आरटीआई आवेदन में प्रमोशन की प्रक्रिया और समिति के सदस्यों के बारे में सूचनाएं मांगी गईं थीं।
आयोग में विभाग की शिकायत का असर हुआ और गणपति बहरा को तुरंत सेक्सशनल सुपरवाईजर से सब डिवीजन मैनेजर के पद पर नियुक्त कर दिया गया। इस प्रकार सूचना के अधिकार ने गणपति बहरा के साथ हो रहे अन्याय को खत्म करने में मदद की।
विभाग के भीतर इस कदर भ्रष्टाचार और अन्याय को देखते हुए आरटीआई कार्यकर्ता आनंद सामल ने उनके पक्ष में आवाज उठाई और आरटीआई आवेदन से विभाग के लोक सूचना अधिकारी से इस संबंध में जवाब तलब किया। हद तो उस समय हो गई जब लोक सूचना अधिकारी ने आरटीआई आवेदन का कोई जवाब नहीं दिया। विभाग के इस रवैये को देखते हुए आवेदक आनंद ने 35 दिनों तक सूचना का इंतजार करने के बाद सीधे आयोग में इसकी शिकायत की। आरटीआई आवेदन में प्रमोशन की प्रक्रिया और समिति के सदस्यों के बारे में सूचनाएं मांगी गईं थीं।
आयोग में विभाग की शिकायत का असर हुआ और गणपति बहरा को तुरंत सेक्सशनल सुपरवाईजर से सब डिवीजन मैनेजर के पद पर नियुक्त कर दिया गया। इस प्रकार सूचना के अधिकार ने गणपति बहरा के साथ हो रहे अन्याय को खत्म करने में मदद की।
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