हरियाणा और पंजाब उच्च न्यायालय ने अपने एक निर्णय में कहा है कि सरकारी कर्मचारी सूचना के अधिकार के जरिए अपनी वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट अर्थात एसीआर लेने के लिए स्वतंत्र हैं। यह निर्णय पंजाब सरकार की एक याचिका की सुनवाई पर दिया गया। इस याचिका में पंजाब सूचना आयोग के एक निर्णय को चुनौती दी गई थी।
पंजाब सरकार ने सूचना आयोग के 5 नवंबर 2007 में दिए गए निर्णय को चुनौती देने के लिए अदालत के समक्ष यह याचिका दायर की थी। राज्य सूचना आयोग ने अपने इस फैसले में पीडब्ल्यूडी को एक कर्मचारी की एसीआर दिखाने का निर्देश दिया था। आयोग ने अपने फैसले में विभाग को निर्देश दिया कि वह 1 अप्रैल 2000 से 31 मार्च 2006 तक की एसीआर की प्रतिलिपि 15 दिनों के भीतर आवेदक को उपलब्ध कराए।
विभाग के अधिकारियों ने आवेदक द्वारा मांगी गई सूचनाओं को गोपनीय माना और कहा कि आरटीआई कानून की धारा 8 के तहत इस प्रकार की सूचनाएं नहीं दी जा सकती। विभाग ने आयोग के फैसले को चुनौती देने के लिए भारतीय संविधान की धारा 226 के अन्तर्गत न्यायालय में याचिका दायर की। लेकिन न्यायधीश एमएम कुमार और सबीना ने आयोग द्वारा दिए गए निर्णय पर सहमति जताई जिसमें कहा गया था कि किसी कर्मचारी को सूचना के अधिकार के माध्यम से एसीआर लेने से नहीं रोका जा सकता।
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