सूचना का अधिकार भ्रष्ट अधिकारियों एवं संगठनों के गले की फांस बन गया है। भ्रष्ट लोगों को जब लगता है कि सूचना का अधिकार उन्हें बेपर्दा कर देगा तो वे उससे बचने के लिए कोई भी हथकंडा अपनाने से नहीं चूकते। कभी सूचना देने वाले को धमकाते और पिटवाते हैं तो कभी उन्हें फंसाने के लिए झूठी एफआईआर दर्ज करवा देते हैं, ताकि सूचना मांगने वाले का हौसला ही पस्त हो जाए।
उत्तर प्रदेश के कानपुर में रहने वाले रौबी शर्मा के साथ कुछ ऐसा ही हो रहा है। रौबी शर्मा सूचना के अधिकार के जरिए दैनिक जागरण समूह और कानपुर विकास प्राधिकरण (केडीए) की मिलीभगत का पर्दाफाश कर चुके हैं। उनका कहना है कि केडीए ने सभी नियमों और कानूनों को ताक पर रखकर दैनिक जागरण समूह को करीब साढ़े पांच एकड़ जमीन मल्टीप्लेक्स बनाने को दे दी। मास्टर प्लान के अनुसार जागरण को दी गई जमीन आयुर्वेदिक पार्क और शमशान घाट हेतु थी। वर्तमान में इस जमीन पर जागरण समूह के रेव मल्टीप्लेक्स बने हुए हैं। इस मामले में वे इलाहाबाद उच्च न्यायालय में याचिका भी दाखिल कर चुके हैं।
रौबी शर्मा का कहना है कि मुंह बंद करने के लिए पहले उन्हें रुपयों की पेशकश की गई, फ़िर धमकी मिली और अब जागरण के इशारों पर झूठी एफआईआर दर्ज करा दी गई है। एफआईआर दर्ज कराने वाले रामसिंह ने आरोप लगाया है कि रौबी शर्मा ने उन्हें नौकरी का आश्वासन देकर 2 हजार रूपये लिए और जब नौकरी न मिलने पर पैसे मांगे तो रौबी शर्मा ने उन्हें जातिसूचक गालियां दीं और पैसे भी वापस नहीं किए। जबकि रौबी शर्मा का कहना है कि वह उस व्यक्ति को जानते तक नहीं।
बकौल रौबी शर्मा यह सब इसलिए किया जा रहा है ताकि जेल भिजवाकर उन्हें किसी बहाने से मरवा डालें तथा गंभीर आरोपों में फंसा दिखाकर माननीय उच्च न्यायालय को गुमराह करें और उनके द्वारा दाखिल जनहित याचिकाओं को बेअसर साबित कर सकें। अपने साथ हो रहे अन्याय की आवाज वे एसएसपी, राज्य की मुख्यमंत्री , प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति आदि तक पहुंचा चुके हैं लेकिन अब तक उन्हें कोई राहत नहीं मिली है।
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