केन्द्रीय सूचना आयोग ने अपने रेगुलेशन, 2007 को संशोधित कर स्पष्ट कर दिया है कि वह पुनर्विचार याचिकाओं पर विचार नहीं करेगा। आयोग के निर्णयों पर उच्च न्यायालय न्यायालय और उच्चतम न्यायालय में दाखिल याचिका के माध्यम से ही दोबारा विचार हो सकता है। आयोग की वेबसाइट पर साफ़ उल्लेख है- आयोग द्वारा दिया गया आदेश या फैसला अंतिम होगा।
इससे पहले आवेदनकर्ता मुख्य सूचना आयुक्त के यहां याचिका दाखिल कर फैसले पर पुनर्विचार करने का अनुरोध् कर सकता था। मुख्य सूचना आयुक्त द्वारा उचित समझने पर याचिका पर विचार करने के लिए विशेष अवकाश लिया जाता था। लेकिन अब सीआईसी ने अपने रेगुलेशन में संशोधन कर इस प्रक्रिया पर रोक लगा दी है। जानकार आयोग के इस संशोधन को आवेदकों के हित में नहीं मान रहे हैं। यह भी माना जा रहा है कि बढ़ती पुनर्विचार याचिकाओं से छुटकारा पाने के लिए आयोग ने यह कदम उठाया है।
1 टिप्पणी:
If CIC do not want to serve the aggrieved citizens; Mr Wazahat Habibullah should resign.
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