सूचना के अधिकार अधिकार के तहत सूचना मांगने पर सूचना तो नहीं मिली उलटे 70 लाख रुपये जमा करने का पत्र जरूर मिल गया. पूरा वाकया यूँ है कि सुल्तानपुर के आइमा गाँव के रमाकांत पाण्डेय ने जिला कार्यक्रम अधिकारी कार्यालय के सूचना अधिकारी को आवेदन भेज कर कई तरह कि सूचनाएँ मांगीं. इन सूचनाओं में जिला कार्यक्रम अधिकारी एम् जेड़ खान के पूरे कार्यकाल के आवागमन (भ्रमण पंजिका), जनपद में संचालित आँगनवाडी केन्द्रों की सूची, केन्द्र से छात्रों को शासन द्वारा निर्धारित मानक, छात्रों के भौतिक सत्यापन की रिपोर्ट के साथ-साथ कई और जानकारियाँ भी शामिल थीं. इन सूचनाओं में विभाग द्वारा उपलब्ध कराये गए वाहनों की लोग बुक, आंगनवाडी केन्द्रों की केन्द्रवार वर्ष 2006 और वर्ष 2007 में वितरित पुष्टाहार का लाभ लेने वाले छात्रों, महिलाओं के नाम-पते, निरीक्षण-परीक्षण सम्बन्धी दिशा-निर्देशों वाली राजाज्ञाओं की फोटो प्रतियों की मांग की गई.
निर्धारित अवधि 30 दिन बीत जाने के बाद भी कोई जवाब न मिलने पर रमाकांत पाण्डेय ने प्रथम अपीलीय अधिकारी सहायक निदेशक (बाल विकास) को अपील भेजी. जवाब में अपर निदेशक दया शंकर श्रीवास्तव ने लिखा कि जिला कार्यक्रम अधिकारी ने अवगत कराया था कि सूचना के लिए निर्धारित शुल्क जमा कर दिया जाए. शुल्क जमा करने की स्थिति में आपको सूचना नहीं दी गई. इसके बाद रमाकांत उस पत्र को पाकर (अनुस्मारक के रूप में प्राप्त हुआ) हैरान रह गए जिसमें उनसे सूचना प्राप्ति के लिए सौ-दो सौ या हजार नहीं वरन 70 लाख रुपये से अधिक जमा करने को कहा गया था.
जिला कार्यक्रम अधिकारी के कार्यालय के पत्र के अनुसार मांगी गई सूचनाओ का ब्यौरा देते हुए लिखा गया कि लाभार्थियों की संख्या 519034 और अन्य नाम-पते विवरण आदि देने में अनुमानित व्यय 77 लाख 85 हजार 510 रुपये लगाते हुए उनसे 78 लाख 14 हजार 245 रुपये जमाकरने को कहा गया. पत्र में यह भी कहा गया कि धनराशि का अग्रिम 90 प्रतिशत (70 लाख 32 हजार 820 रुपये) पत्र प्राप्ति के एक सप्ताह के भीतर जमा करने पर सूचनाओं के तैयार करने सम्बन्धी कार्यवाही शुरू की जा सके.
हालाँकि पाण्डेय का कहना है कि इस तरह का कोई पत्र उनको नहीं मिला है पर कार्यालय की तरफ़ से दावा किया गया है कि पत्र संख्या - 2545/जि0 का0 अधि0/2006-07 दिनांक - 06.03.2007 रमाकांत को भेजा गया है. जिला कार्यक्रम अधिकारी ने लिखा है कि स्वयं के कार्यकाल जून 05 से जनवरी 07 तक के भ्रमण कार्यक्रम की सूचना लगभग 50 पेज के हिसाब से 19 माह की सूचना 950 पेज में आयेगी.
बहरहाल इस तरह के उत्त्तर से भौचक रमाकांत ने उक्त सारी सूचनाएँ गाँव के ही एक अन्त्योदक कार्ड धारक भगौती प्रसाद तिवारी के द्वारा मांगीं हैं. इस के जावाब में कार्यालय ने साधारण पत्र से जवाब दिया कि ये सूचनाएँ आप रमाकांत पाण्डेय के लिए मांग रहे हैं. ये कार्ड का दुरूपयोग है, क्यों न आपके ख़िलाफ़ कार्यवाही की जाए? इस मसले पर भगौती प्रसाद ने अपना आवेदन पुनः प्रथम अपीलीय अधिकारी को दे दिया है. अब आगे क्या होना है ये देखना बाकी रह गया है.
1 टिप्पणी:
जब तक देश के हर सरकारी डेस्क व दस्तावेज का कम्प्यूटरीकरण नही हो जाता सूचना के अधिकार से लोगों को इसी तरह आसानी से दूर रखा जा सकेगा. आरटीआई लेन से पहले पूर्ण आईटीकरण कर दिया होता तो सभी जगह ऐसी घटनाएँ देखने में नहीं आती.
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