महाराष्ट्र के मंत्रियों के अपने कार्यकाल के प्रारंभिक तीन सालों की देशी विदेशी यात्राओं में कुल 7.44 करोड़ रूपये खर्च किए हैं। इस बिल में उनकी यात्राओं और विधानसभा का दौरा दोनों शामिल है। यह आंकडे़ राज्य सरकार के पे एंड अकाउंट ऑफिस ने एक आरटीआई आवेदन के जवाब में उपलब्ध कराए हैं। मंत्रियों का यह यात्रा बिल 1 अप्रैल 2004 से 31 मार्च 2007 तक का है। आरटीआई कार्यकर्ता चेतन कोठारी ने आरटीआई आवेदन दायर कर इस बारे में सूचनाएं मांगी थीं।
यात्राओं में खर्च करने वालों में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री विलासराव देषमुख सबसे आगे हैं। इस अवधि में उनकी यात्राओं का बिल 63.96 लाख रूपये हैं। अपनी घरेलू यात्राओं में उन्होंने 32.45 लाख और विदेषी यात्राओं में 31.51 लाख खर्च किए हैं।
यात्रा खर्च के मामले में 64 मंत्रियों की लिस्ट में पब्लिक वक्र्स मिनिस्टर अनिल देषमुख दूसरे स्थान पर हैं। अनिल देषमुख की यात्राओं का बिल 47.86 लाख रूपये है। राज्य के टैक्टाइल मंत्री सतीष चतुर्वेदी तीसरे और डेरी विकास मंत्री अनीस अहमद चौथे स्थान पर हैं। सतीष चतुर्वेदी का यात्रा बिल ४१.४ लाख और अनीस अहमद का यात्रा बिल 38.61 लाख रूपये है। राज्य के 12 मंत्रियों का घरेलू यात्रा पर किया गया कुल खर्चा 20 से अधिक है।
मंत्रियों के इस भारी भरकम खर्चे की वजह यात्राओं में अपने सगे संबधियों को अनावष्यक रूप से लेकर जाना भी है। नेताओं का यात्राओं पर किए गए इस फिजूलखर्च का भार आखिरकार जनता को उठाना पड़ता है और यह राषि टैक्स के माध्यम से आम जनता की जेब से ही निकाली जाती है। कार्यकर्ताओं का मानना है कि जनता के धन का दुरूपयोग न हो इसलिए जरूरी है कि मंत्रियों की इस मामले में जवाबदेही तय की जाए।
यात्राओं में खर्च करने वालों में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री विलासराव देषमुख सबसे आगे हैं। इस अवधि में उनकी यात्राओं का बिल 63.96 लाख रूपये हैं। अपनी घरेलू यात्राओं में उन्होंने 32.45 लाख और विदेषी यात्राओं में 31.51 लाख खर्च किए हैं।
यात्रा खर्च के मामले में 64 मंत्रियों की लिस्ट में पब्लिक वक्र्स मिनिस्टर अनिल देषमुख दूसरे स्थान पर हैं। अनिल देषमुख की यात्राओं का बिल 47.86 लाख रूपये है। राज्य के टैक्टाइल मंत्री सतीष चतुर्वेदी तीसरे और डेरी विकास मंत्री अनीस अहमद चौथे स्थान पर हैं। सतीष चतुर्वेदी का यात्रा बिल ४१.४ लाख और अनीस अहमद का यात्रा बिल 38.61 लाख रूपये है। राज्य के 12 मंत्रियों का घरेलू यात्रा पर किया गया कुल खर्चा 20 से अधिक है।
मंत्रियों के इस भारी भरकम खर्चे की वजह यात्राओं में अपने सगे संबधियों को अनावष्यक रूप से लेकर जाना भी है। नेताओं का यात्राओं पर किए गए इस फिजूलखर्च का भार आखिरकार जनता को उठाना पड़ता है और यह राषि टैक्स के माध्यम से आम जनता की जेब से ही निकाली जाती है। कार्यकर्ताओं का मानना है कि जनता के धन का दुरूपयोग न हो इसलिए जरूरी है कि मंत्रियों की इस मामले में जवाबदेही तय की जाए।
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