प्रदीप श्रीवास्तव
एक पत्रकार होने के नाते प्रतिदिन भ्रष्टाचार, भ्रष्टाचारियों को करीब से देखने और जानने का मौका मिनता है। कार्यों को किस तरह टाल कर रिश्वत ली जाती है इसका एक उदाहरण देना चाहूंगा। गोरखपुर महानगर के एक व्यक्ति ने अपना मकान बनाने के लिए एक नक्शा पास कराने के लिए गोरखपुर विकास प्राधिकरण में आवेदन किया। नियम है कि यदि कोई आपत्ति नहीं है तो एक माह के भीतर नक्शा पास हो जाना चाहिए। यदि कोई आपत्ति है तो उसकी लिखित सूचना आवेदक को देना चाहिए लेकिन रिश्वत न मिलने के कारक एक साल तक न तो नक्शा पास किया गया और न ही इस बारे में आवेदक को कोई सूचना दी गयी। आवेदक ने अमर उजाला को अपनी पीड़ा से अवगत कराया।
मैने इस मामले की खोजबीन शुरू की तो मालूम पड़ा कि जिस क्षेत्र में नक्शा पास होना है उस क्षेत्र में उसकी आराजी नम्बर और उसी प्लाट के आस-पास के प्लाटों पर मकान बनाने के लिए आध दर्जन नक्शा पास कर दिया गया है। छह नक्शे पास हो गए तो सातवें पर आपत्ति क्या है, मैने जीडीए अधिकारियों से पूछा। काई अधिकारी ऑन द रिकार्ड कुछ बोलने को तैयार नहीं हुआ तो मैने सूचना अधिकार अधिनियम के तहत नक्शा न पास होने का कारण पूछा। जीडीए ने उत्तर दिया कि उक्त भूमि का ले आउट स्वीकृत नहीं है इसलिए वहां नक्शा पास नहीं हो सकता है। इसके बाद मैने पूछा कि यदि ले आउट नहीं स्वीकृत है तो छह नक्शे पास कैसे हो गए। मैने अलग से पत्र तैयार किया और पूछा कि पास हुए छह नक्शों पर किन अधिकारियों के हस्ताक्षर हैं, किन नियमों के तहत उन्हें पास किया गया है और सातवें नक्शे को पास करने में उन नियमों का पालन क्यों नहीं किया जा रहा है। मामला फंसता देख जन सूचना अधिकारी ने तय समय सीमा में कोई उत्तर नहीं दिया। मैने अपील की तो सुनवाई के बाद मुझे उत्तर देने को कहा गया लेकिन उत्तर देने के पहले नक्शे को पास कर दिया गया। बाद में मुझे उत्तर दिया गया। मेरी इस कवायद का फायदा यह हुआ कि उस क्षेत्र में जितने भी लोगों का नक्शा इस तरह से फंसा हुआ था वह सभी पास कर दिया गया और किसी से रिश्वत की मांग नहीं की गयी।
सूचना मांगने से पहले हमें शब्दों पर विशेष ध्यान देना चाहिए। हमें यह याद रखना चाहिए कि अधिकतर विभाग सूचना देने में आनाकानी करते हैं और शब्दों को अपने हिसाब से अर्थ लगाकार सूचनाएं नहीं देते हैं। कोशिश करें कि सूचना मांगने का पत्र लिखने से पहले किसी जानकार से समझ लें और सूचना न मिलने की दशा में अपील जरूर करें। यदि आप सूचना लेने की जिद कर लेंगे तो वह सूचना हर हाल में आपको उपलब्ध करायी जाएगी और आपका वाजिब काम किसी भी दशा में नहीं रूकेगा।
(लेखक अमर उजाला, गोरखपुर में वरिष्ठ उप संपादक हैं)
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