सीबीआई ने कार्मिक विभाग से अपील की है कि उसे आरटीआई के दायरे से बाहर कर दिया जाये। इसके पीछे सीबीआई का तर्क है कि आरटीआई के तहत ऐसे आवेदनों की संख्या तेजी से बढ़ी है जिसमें लोग बन्द चुके या कोर्ट में चार्जसीट दाखील हो चुके मामलों की फाईल नोटिंग मांग रहे हैं। इसके कारण सीबीआई की रोजमर्रा के काम पर प्रभाव पड रहा है। साथ ही सीबीआई एक मामला एक फाईल की नीति पर काम करती है। ऐसे में जांच अधिकारी किसी मामले में अपनी बात लिखने से बच रहे है जिससे जांच की निष्पक्षता प्रभावित होती है।
ऐसा नहीं है कि सीबीआई यह कोशिश पहली बार कर रही हो। आरटीआई क़ानून लागू होने के बाद से ही वह इससे बाहर होने की कोशिश कर रही है। सबसे पहले सीबीआई के पुर्व निदेशक अश्विनी कुमार ने सरकार को पत्रा लिखकर यह मामला उटाया था और अब उनके उत्तराधिकारी ए.पी.सिंहा ने कार्मिक विभाग को पत्र लिखकर अपील की है कि उन्हें आरटीआई के दायर से बाहर किया जाये। सूत्रों के अनुसार कार्मिक विभाग ने सीबीआई निदेशक के इस अपील पर क़ानून मन्त्रालय से सलाह भी मांगी है।
8 टिप्पणियां:
उससे किसे फ़ायदा होगा?
अमेरिका में फेडरल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्तिगेसन सूचना के अधिकार दायरे से बाहर नहीं है तो भारत में ऐसी आवश्यकता क्यों अनुभव की जा रही है |
आपने इस महत्वपूर्ण ब्लॉग को इस तरह बंद क्यों कर दिया है ??????
yes
सीबीआई सरकार से क्यों नहीं कहती कि उसे आजाद कर दिया जाए जो निष्पक्षता के लिये नितांत आवश्यक है
IN GOD WE TRUST ENGLISH AND HINDI HIGHLY EDUCATION UPSC POTRAL EMPLOYEE POTRAL ,POTRAL IN THE WORLD ECONOMIC SECULAR 1976,BHARAT SITA KA SWAYAMBAR BHARAT IN GOD WE TRUST.English anchuchi jati Bharat
If the subject matter is related with individual life and liberty ,human rights and corruption.Cbi is also responsible to give information to applicant in above subject.
नहीं होना चाहिए यह गलत है
एक टिप्पणी भेजें