केन्द्रीय सूचना आयोग ने एक महत्वपूर्ण मामले की सुनवाई के बाद निर्णय दिया कि सामाजिक न्याय और आधिकारिता मंत्रालय एक आरटीआई आवेदक दस हजार रूपये क्षतिपूर्ति के रूप में दे। आयोग ने यह क्षतिपूर्ति जुर्माना आवेदक एफ सी थोमस द्वारा मांगी गई सूचनाओं से संबंधित फाइल न ढूंढने पर लगाया है।
आयोग ने मंत्रालय को लापरवाही बरतने का दोषी पाया और जवाबदेयता में कमी के लिए मंत्रालय की खिंचाई की। साथ ही मंत्रालय की उस अपील को खारिज कर दिया जिसमें कहा गया था कि आवेदक द्वारा मांगी गई सूचनाएं 1952 से संबंधित हैं जिनकी फाइलों को नहीं ढूंढा जा सकता।
इस पर सूचना आयुक्त एम एम अंसारी ने कहा कि यदि ऐसे स्पष्टीकरण मान लिये जाएं तो सामान्य नागरिक को लोक प्राधिकरण से सूचना मांगने का अधिकार कैसे हासिल होगा। उन्होंने कहा कि ऐसे में तो सभी केन्द्रीय जन सूचना अधिकारी सरकारी विभागों से संबधित सूचना देने से मना कर देंगे और कानून मजाक बनकर रह जाएगा।
आयोग ने मंत्रालय को लापरवाही बरतने का दोषी पाया और जवाबदेयता में कमी के लिए मंत्रालय की खिंचाई की। साथ ही मंत्रालय की उस अपील को खारिज कर दिया जिसमें कहा गया था कि आवेदक द्वारा मांगी गई सूचनाएं 1952 से संबंधित हैं जिनकी फाइलों को नहीं ढूंढा जा सकता।
इस पर सूचना आयुक्त एम एम अंसारी ने कहा कि यदि ऐसे स्पष्टीकरण मान लिये जाएं तो सामान्य नागरिक को लोक प्राधिकरण से सूचना मांगने का अधिकार कैसे हासिल होगा। उन्होंने कहा कि ऐसे में तो सभी केन्द्रीय जन सूचना अधिकारी सरकारी विभागों से संबधित सूचना देने से मना कर देंगे और कानून मजाक बनकर रह जाएगा।
मुुझे सामाजिक न्याय अधिकारिता विभाग पर मेेटर तैयार कर के दे सकते है
जवाब देंहटाएं