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शुक्रवार, 4 फ़रवरी 2011

ये है देश का भविष्य

बात शिक्षा पर भाषण देने की हो तो नेता हों या अफसर कोई पीछे नहीं रहेगा लेकिन देश के नेता या अफसर शिक्षा पर कर क्या रहे हैं इसकी बानगी बंगलोर से ली जा सकती है। शहर में नगर निगम के अधीन चल रहे 33 हाई स्कूलों में कुल मिलाकर 379 शिक्षकों की कमी है। कन्नड भाषा के शिक्षकों के 46 पद हैं पर कई साल से केवल 15 लोगों से काम चलाया जा रहा है। तमिल भाषा के 16 पदों में से सिर्फ एक पद पर शिक्षक नियुक्त हैं। `कला शिक्षक´ के 103 पदों में से सिर्फ 46 भरे हैं यानि 67 शिक्षकों की कमी है। भौतिकी, रसायन विज्ञान और गणित विषयों के लिए 92 में से सिर्फ 46 पद भरे हैं, जीव एवं वनस्पति विज्ञान के 27 शिक्षकों में से केवल 16 पद भरे हैं। 
संगीत शिक्षक के 7 पदों में से एक पर भी नियुक्ति नहीं हुई है। ड्राईंग-पेंटिंग के लिए 20 में से 5 पदों पर ही शिक्षक हैं। 
कहते हैं कि देश का भविष्य स्कूल की कक्षाओं में लिखा जाता है। लेकिन जहां तमाम अफसर और नेता भ्रष्टाचार कर अपना भविष्य संवारने में लगे हों वहां भला स्कूलों की चिन्ता कोई करे भी तो क्यों

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