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शुक्रवार, 10 जुलाई 2009

निगौडा सूचना का अधिकार

चंदन राय
मंत्रियों के मुरझाए चेहरे सहसा नियॉन बल्ब की मानिंद चमक उठे। महारानी की जय जयकार से राजमहल की दीवारें भी हिलने लगी थीं। महारानी ने उड़ती हुई नजर से चाटुकारिता में निपुण मंत्रियों की तरफ देखा। महारानी के राज सिंहासन पर विराजते ही मंत्रियों ने भी श्रेष्ठता के अनुसार जमीन पर आसन ग्रहण किया। उत्तम प्रदेश में महारानी के बारे में यह प्रसिद्ध था कि अपने दरबार में वे अपने बराबर किसी कुर्सी का होना पसंद नहीं करती। शायद विचार यह हो कि मंत्री अपनी नजरों में इतने गिरे हों कि सपने में भी बगावत के बारे में न सोच सकें। खैर इन दिनों एक और भय महारानी की रातों की नींद हराम किए था। हुआ यूं कि जनता की मांग पर उन्होंने एक आम सभा में सूचना का अधिकार लागू करने की घोषणा कर दी थी। बात यहीं तक होता तो गनीमत थी। मुई जनता तो मानो विद्रोह पर उतर आई थी। अब उन्हें महारानी की विलासिता और विदेश दौरे भी खटकने लगे थे। फ़िर भी महारानी बर्दाश्त कर लेती, पर एक अनोखी घटना ने उन्हें आपातकालीन दरबार लगाने को मजबूर कर दिया था। किसी सिरफिरे ने उनके विदेशी नस्ल के कुत्तों पर होने वाले खर्च की जानकारी मांग ली थी। अब मुई जनता को क्या मालूम कि विदेशी कुत्ते उनकी तरह गली कूचों में नहीं पला करते। इधर दिल्ली दरबार में भी महारानी की बड़ी अम्मा को नजले जुकाम होने लगे थे। मुददा वही निगोड़ा सूचना का अधिकार। तभी महारानी के मुंहलगे चमचे ने उनके कान में जाकर कोई मंत्र फुसफुसाया। महारानी का चेहरा खुशी से चमक उठा। महारानी के चेहरे पर छायी लाली को देखकर ही मंत्रियों के चेहरे पर भी चमक वाली घटना घटित हुई थी।
अब बात आगे की। मंत्रिपरिषद में खलबली मची थी कि आखिर उसने कौन सा ऐसा मंत्र फूंक दिया कि महारानी की बांछें खिल उठी। तभी महारानी ने भरी सभा में एलान किया कि महारानी, उनके विश्वासपात्र मंत्री, गुप्तचर विभाग और सेना से जुडी जानकारी जनता को नहीं दी जा सकती। सांप भी मर गया और लाठी भी सलामत की सलामत। फुरसत के क्षणों में जनता को एक झुनझुना बजाने के लिए थमा दिया गया था। अब बजाते रहो जी भर के । आखिर लड़ने से अधिकार थोड़े ही मिलते हैं। ये तो महारानी की कृपा है कि अभी तक मुफ्त में ली जा रही हवा पर उन्होंने पहरे नहीं बिठाए। नहीं तो क्या मजाल कि इधर की हवा उधर हो जाए। अब भरते रहो टैक्स पर टैक्स। चापलूस मंत्रियों ने आंखें बंद कर और गर्दन उपर उठाकर गर्दभ राग में रेंकना शुरू किया। तभी एक दूत ने आकर खबर दी कि जनता ने बगावत के लिए तैयारी शुरू कर दी हैं। अब महारानी की खैर नहीं। एक बार फ़िर वही चिंता की लकीरें महारानी के चेहरे पर घिर आई थी और मंत्री चिंतामग्न हो कोई और उपाय तलाशने में लग गए।

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