कोर्ट से प्रमाणित पेपर्स हासिल करने में याचिकाकर्ताओं को अक्सर कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। मामला विचाराधीन है यह कहकर सूचना देने से मना कर दिया जाता है। ऐसे में केन्द्रीय सूचना आयोग का एक आदेश उन्हें काफी राहत दे सकता है। आदेश में कहा गया है कि सूचना के अधिकार के जरिए कोर्ट के प्रमाणित दस्तावेजों को हासिल किया जा सकता है।
सूचना आयुक्त शैलेष गाँधी ने आरटीआई आवेदक एन वेंकटेशन की अपील पर यह फैसला दिया। वेंकटेशन ने दिल्ली के एक डिस्ट्रिक और सेशन कोर्ट से एक फैसले की प्रमाणित प्रतिलिपि मांगी थी जिसे कोर्ट के लोक सूचना अधिकारी और प्रथम अपीलीय अधिकारी ने देने से मना कर दिया था। अपने फैसले में आयुक्त ने कहा कि यदि संसद नागरिकों को यह अधिकार देने से वंचित रखना चाहती तो इसका उल्लेख कानून में किया जाता। किसी को नागरिकों का हक छीनने का अधिकार नहीं है।
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