बवाना के ही रहने वाले सुबोध का राशन कार्ड, डीलर ने बोगस बताकर रद्द कर दिया। कार्ड दुरूस्त कराने के लिए सुबोध ने एक फार्म भरा और लेकिन उस पर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई। लेकिन जैसे ही सूचना के अधिकार के जरिए भरे गए फार्म पर की गई दैनिक प्रगति रिपोर्ट मांगी गई, उनका राशन कार्ड बनकर आ गया।
सुबोध ने आरटीआई कार्यकर्ता वसीम खान की मदद से आईटीओ स्थित विकास भवन में 20 अक्टूबर 2008 को खाद्य आपूर्ति विभाग में आवेदन जमा किया। आवेदन में पूछा कि उनके आवेदन पर की गई दैनिक प्रगति रिपोर्ट और उन अधिकारियों के नाम एवं पद बताएं जाएं जिन्हें आवेदन पर कार्रवाई करनी थी। साथ ही प्रश्न किया कि अपना काम ठीक से न करने पर दोषी अधिकारियों के खिलाफ क्या कार्रवाई की जाएगी।
आवेदन के जवाब में 6 नवंबर 2008 को मंडल 22 के खाद्य एवं संभरण अधिकारी संजय गुप्ता ने बताया कि नवंबर महीने से आपको राशन मिलने लगेगा। इससे बाद उन्हें राशन कार्ड मिल गया। हालांकि आवेदन में पूछे गए सवालों के उत्तर नहीं मिले लेकिन आवेदक का रुका काम हो गया।
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