ईश्वर का पवित्र स्थान माने जाने मंदिर भी भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारियों से अछूते नहीं हैं। सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मिली है कि उड़ीसा के पुरी जिले के काकटपुर में स्थित मां मंगला मंदिर में 1.3 करोड़ का फंड मंदिर के अधिकारियों हड़पा है। इस घोटाले का पर्दाफाश काकटपुर निवासी 42 वर्षीय नरगिह बहर के आरटीआई आवेदन से हुआ है।
आवेदन के अन्तर्गत प्राप्त जानकारी के अनुसार मंदिर ट्रस्ट को 2006-07 के दौरान मंदिर की दुकानों की नीलामी से 16 लाख 65 हजार 750 रफपये प्राप्त हुए लेकिन अधिकारी प्रमोद कुमार मोहंती ने काकटपुर स्थित पुरी ग्राम्य बैंक में महज 9 लाख 48 हजार 675 रुपये ही जमा कराए। इसी तरह मार्च 2005 में भोग और पूजा की दुकानों की नीलामी से 2 लाख 82 हजार 800 रुपये हासिल हुए जिसे बैंक में जमा तक नहीं कराया गया। इसके अतिरिक्त 2005-06 के दौरान दान पात्र खोलते समय 2 लाख 63 हजार 352 रुपये एकत्रित किए गए और इस खोलते वक्त जनता को आमंत्रित नहीं किया गया। जवाब में पता चला कि 2006-07 में पात्र से प्राप्त हुई धनराशी को मंदिर की आय में नहीं बताया गया। इस तरह अधिकारियों ने मंदिर ट्रस्ट के कुल 1.3 करोड़ रुपये का गबन कर लिया।
नरगिस बहर ने बताया कि इस पूरे घोटाले में मंदिर ट्रस्ट के तीन अधिकारी सुकांत कुमार जीना, उग्रसेन जीना और प्रमोद कुमार मोहंती संलिप्त रहे। सुकांत कुमार जीना 2003-04 के दौरान मंदिर ट्रस्ट एक्ज्यूक्यूटिव अधिकारी रहे, 2004-05 के दौरान उग्रसेन जीना और 2005 से 2008 तक प्रमोद कुमार मोहंती इस पद पर रहे। आवेदन के तहत हासिल आडिट रिपोर्ट बताती है कि सुकांत कुमार जीना और उग्रसेन जीना के कार्यकाल में करीब 68 लाख का घपला हुआ जबकि प्रमोद कुमार मोहंती से समय 62 लाख का घोटाला हुआ।
नरगिस बहर को जैसे ही मंदिर में व्याप्त इन अनिमितताओं और घोटाले की भनक लगी तो उन्होंने सूचना के अधिकार जरिए अधिकारियों का सारा काला चिट्ठा जनता के सामने ला दिया। मामला सामने आते ही एन्डोवमेंट कमिश्नर एल पांडा ने प्रमोद कुमार मोहंती को बर्खास्त कर दिया और पुलिस ने मामले की तह तक जाने के लिए जांच शुरू कर दी है।
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