एक और विसिल ब्लोअर को दबाने कि कोशिश
सतीश कुमार |
दिल्ली विश्वविद्यालय के इंस्टीच्युट ऑफ होम इकोनोमिक्स में एक नया घोटाला सामने आया है। कॉलेज बिल्डिंग को किराये पर देकर उससे होने वाली आमदनी कॉलेज की देखरेख कर रहे ट्रस्ट ने अपने खाते में जमा करा लिया। इस घोटाले का खुलासा किया है कॉलेज के ही एक लेब अस्सिसटेंट सतीश कुमार ने। सतीश ने कॉलेज प्रशासन से आरटीआई के तहत कॉलेज परिसर में किराये पर चल रहे एक निजी संस्थान के सम्बंध् में सूचना मांगी।
आरटीआई के तहत मिली सूचना से पता चला है कि वर्ष 1999 में कॉलेज परिसर का एक हिस्सा एक निजी संस्था नेशनल इंस्टीच्युट ऑफ फैशन डिजाइन (एनआईएफडी) को किराये पर दिया गया। पहले तो किराये के रूप में कॉलेज को हर महीने 1 लाख रूपये की राशि मिलती रही। लेकिन बाद में एनआईएफडी ने कॉलेज का कुछ और हिस्सा भी किराये पर ले लिया, जिससे किराया हर महीने 1.70 लाख रफपया हो गया। किराये से होने वाली यह आमदनी कॉलेज के खाते में न जाकर कॉलेज चला रहे ट्रस्ट के खाते जा रहा है।
सतीश ने कॉलेज से मिली इस सूचना के आधार पर यूजीसी से आरटीआई के तहत इंस्टीच्युट ऑफ होम इकोनोमिक्स द्वारा जमा किये गये वार्षिक रिपोर्टों की प्रति भी मांगी। वार्षिक रिपोर्ट से पता चला कि कॉलेज ने कभी भी किराये से होने वाली लाखों की कमाई का जिक्र उसमें किया ही नहीं। सतीश का कहना है कि मेरे आरटीआई आवेदन का यह असर तो हुआ है कि आवेदन करने के कुछ ही घंटो के भीतर कॉलेज परिसर से एनआईएफडी के बोर्ड हटा दिये गये। लेकिन साथ ही मुझे बार बार धमकी दी जा रही है कि इस मामले को आगे ना बढाये नहीं तो नौकरी से निकाल दिया जयेगा। पूर्व प्रधनाध्यपिका एस.मलहान ने मुझे बुलाकर ऑफर दिया कि जितना पैसा चाहिए ले लो लेकिन मामले को यहीं खत्म करो।