अधिकारी अपनी मनमानियों से किस प्रकार आम लोगों को तंग करते हैं, बिना किसी आधर पर लोगों को परेशान करने के लिए नोटिस भेजकर पैसों की उगाही करने का प्रयास करते हैं, इसका उदाहरण बहराइच जिले के सत्यनारायण वर्मा के साथ देखने को मिला। लेकिन जैसे ही सूचना के अधिकार कानून का इस्तेमाल किया गया, अधिकारियों की मिलीभगत सार्वजनिक हो गई।
दरअसल सत्य नारायण वर्मा पटसिया चौराहा, थाना फकरपुर, बहराइच में एक दवाई की दुकान चलाते हैं। जिला पंचायत ने 24 फरवरी 2008 को एक नोटिस भेजकर उनकी आय 40 हजार मानते हुए 12 सौ रूपये वार्षिक कर के रूप में भरने को कहा। साथ ही कहा गया कि 30 दिन में कर अदा न करने पर उनके खिलाफ कार्रवाई जाएगी।
मामले की तह तक जाने के लिए सत्यनारायण ने अपर मुख्य अधिकारी, जिला पंचायत कार्यालय के लोक सूचना अधिकारी को सूचना के अधिकार के तहत आवेदन किया जिसमें नोटिस से सम्बंधित विवरण मांगा। यह आवदेन 12 फरवरी 2008 को सूचना के अधिकार के लाइफ एंड लिबर्टी उपबंध के अन्तर्गत डाला गया था। इस उपबंध के तहत 48 घंटे में सूचना मुहैया करानी होती है। आवेदन ने असर दिखाया। आवेदन दाखिल करने के एक हफ्ता बाद पंचायत का एक कर्मचारी आवेदनकर्ता के पास गया और नोटिस भेजने की गलती पर माफी मांगी। कर्मचारी ने कहा-गलती से आपके पास नोटिस चला गया था, आप सूचना मत मांगिए, हम आपसे कभी पैसा वसूलने नहीं आएंगे। उस दिन के बाद नोटिस भेजकर पैसा मांगने की घटनाएं समाप्त हो गईं और कोई कर्मचारी फ़िर पैसा मांगने नहीं आया।
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