जिस केन्द्रीय सूचना आयुक्त शैलेष गाँधी से लोगों को बहुत उम्मीदें थीं, उन्हीं पर आरटीआई आवेदक आर डी मिश्रा ने पक्षपात और लोक सूचना अधिकारी (पीआईओ) से मिलीभगत का आरोप लगाया है। आर डी मिश्रा का कहना है कि शैलेष गाँधी ने सुनवाई के दौरान बिना उनका पक्ष सुने, केवल लोक सूचना अधिकारी की दलीलों के आधार पर अपना फैसला सुनाकर मामला खत्म कर दिया। आवेदक का तो यहां तक कहना है कि लोक सूचना अधिकारी ने सुनवाई से पहले ही सूचना आयुक्त से मिलकर अपना पक्ष रख दिया था।
आर डी मिश्रा ने दिल्ली नगर निगम के संपत्ति कर विभाग से 24 अक्टूबर 2007 को आरटीआई आवेदन के जरिए स्थानांतरण नीति और राजस्व कर इंस्पेक्टर का तबादला न होने का कारण जानना चाहा था। आवेदक को नियत समय में मांगी गई सूचना तो नहीं मिली लेकिन इंस्पेक्टर की तरफ से भेजा गया कोर्ट का नोटिस जरूर मिल गया। नोटिस में कहा गया था कि आवेदक ने जो जानकारी मांगी है, उससे इंस्पेक्टर की विभाग में बेइज्जती हुई है, इसलिए वह मानहानि के लिए 15 लाख रुपये का हर्जाना दे। इसके बाद राजस्व कर इंस्पेक्टर ने कोर्ट में केस कर दिया और आवेदक से 10 लाख रुपये हर्जाने के रुप में मांगे। हैरान आवेदक का कहना है तबादला न होने की सूचना मांगने पर किसी की मानहानि कैसे हो सकती है?
आवेदक ने बड़ी उम्मीद के साथ केन्द्रीय सूचना आयोग में अपील की। 26 दिसंबर 2008 को हुई सुनवाई में सूचना आयुक्त ने भी इस मामले में चुप्पी साध ली और केवल सूचना देने का आदेश देकर पल्ला झाड़ लिया। कानून का इस्तेमाल करने पर अधिकारी द्वारा आवेदक को परेशान क्यों किया जा रहा है, इस पर सूचना आयुक्त शैलेष गाँधी ने आवेदक को कोई राहत नहीं दिलाई।
भागीरथ भाई,सूचना आयुक्त महोदय ने जो फैसला आवेदक की बातों को सुने बिना ही देकर मामला खत्म कर दिया है उस फैसले की साक्षर प्रति जरा उपलब्ध कराएं यदि हो सके तो.....ताकि इस मुद्दे पर हम सब मिल कर दबाव बना सकें और मामले को पारदर्शिता के स्तर पर लाएं कि बंद केबिन के अंदर विभागीय अधिकारी अपने अधीनस्थ अधिकारी की शिकायत को कैसे टाल देते हैं.... ये मेरे साथ भी हो चुका है कि आयुक्त पूर्वाग्रह से ग्रस्त सा बैठा रहता है और आवेदक को बोलने का मौका ही नहीं देता.
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
Rupesh jee,
जवाब देंहटाएंshailesh gandhi ke is order ko cic ki website par dekha aur download kiya ja sakta hai.
applicant rd mishra se 9911213554 par baat ki jaa sakti hai.