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बुधवार, 7 जनवरी 2009

रातों-रात दुरूस्त हुआ स्कूल

उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले के बरदिया गांव में सूचना के अधिकार की एक अर्जी ने ऐसा असर दिखाया कि वहां का बदहाल माध्यमिक स्कूल रातों-रात दुरूस्त हो गया। अर्जी दाखिल होते ही अधिकारियों ने मिस्त्री लगाकर स्कूल के टूटे फर्श, टपकती छत और दीवारों से झड़ती बालू को ठीक करवा कर दिया। यह असर सूचना के अधिकार का था।
बरदिया गांव एक थारू जनजाति हुल गांव है। गांव के लोगों को शिकायत थी कि उनके ग्राम पंचायत के पूर्व माध्यमिक विद्यालय के नवनिर्मित अतिरिक्त कक्ष की छत टपक रही है तथा कई जगह पफर्श टूट चुके है। लोगों का कहना था कि स्कूल की जर्जर हो चुकी दीवारों से बालू झड़ती है। ग्रामीणों ने इस अपनी शिकायत के प्रमाण के लिए 3 अगस्त 2007 को स्कूल की जर्जरावस्था तस्वीरें भी खींच लीं। इन्हीं तथ्यों एवं तस्वीरों के आधार पर 3 अगस्त को ही बहराइच के बेसिक शिक्षा अधिकारी को सूचना के अधिकार के तह आवेदन किया गया। आवेदनकर्ता जंग हिन्दुस्तानी ने आवेदन में शिक्षा सत्र 2006-07 के दौरान विद्यालय के संबंध में अनेक प्रश्न पूछे। मसलन, कक्षा वार छात्रा-छात्राओं की संख्या, कुल कितने दिन विद्यालय खुला, कितने दिन मिड डे मील पकाया गया एवं पूरे साल इस पर कितना भुगतान किया गया और इस दौरान कुल कितना गेंहू, चावल और गैस का इस्तेमाल हुआ।
दूसरे प्रश्न में आवेदनकर्ता ने स्कूल में कुल पदों की संख्या, कार्यरतों की संख्या, रिक्त पदों की संख्या, शिक्षा मित्रों की संख्या, छात्रावृत्ति एवं ड्रेस पाने वालों छात्रों के नाम एवं पतों की जानकारी मांगी। तीसरे प्रश्न में आवेदक ने विद्यालय भवन के संबंध में सवाल पूछे जिसमें कुल कक्षों की संख्या, कार्यालय कक्षों की संख्या, प्रयोग किए जा रहे कक्षों की संख्या, अतिरिक्त कक्षों की संख्या तथा प्रयोग न किए जाने वाले कक्षों का कारण जानना चाहा। चौथे प्रश्न में आवेदक ने 2006-07 में स्वीकृत अतिरिक्त कक्षों की संख्या और उक्त वर्ष में बने कक्षों की जानकारी मांगी। अंतिम और पांचवे प्रश्न में जंग हिन्दुस्तानी ने अतिरिक्त कक्ष स्वीकृत होने की तिथि, कक्ष के लिए स्वीकृत धनराशि, निर्माण कार्य शुरू होने की तिथि, निर्माण में लगे मजदूरों के नाम और पते और उनको मिली मजदूरी की जानकारी मांगी। इसके अतिरिक्त निर्माण कार्य में प्रयुक्त ईंट, सीमेंट, बालू, लकड़ी, सरिया आदि सामान का विवरण भी मांगा।
कक्ष की स्थिति पर हां या ना में सवालों के जवाब देने के उद्देश्य से पूछा गया कि क्या स्कूल की छत टपकती है, क्या फर्श टूट गया है, क्या दीवार धंस गई है, क्या दीवार से बालू गिरता है, क्या नींव कम गहरी है और क्या भवन कभी भी गिर सकता है? कक्ष का निर्माण कराने वाले, सत्यापन करने वाले तथा कक्ष के गिरने के लिए जिम्मेदार कर्मचारी एवं अधिकारियों के नाम और पद भी अंत में पूछे गए।
अधिकारियों के आवेदन में पूछे गए सवालों से होश उड़ गए। उन्होंने जवाबों से बचने के लिए रातों रात स्कूल की मरम्मत करवा दी। सूचना न देने पर आवेदनकर्ता ने राज्य सूचना आयोग में शिकायत कर दी है और सुनवाई की प्रतीक्षा में हैं।

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