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शनिवार, 15 नवंबर 2008

प्रवासी भारतीयों के लिए टेढ़ी खीर है आरटीआई

पंकज दुबे
पहले तो विवाद इस बात पर था कि विदेशों में स्थित भारतीय दूतावास, सूचना के अधिकार अधिनियम, 2005 के दायरे में आते ही नहीं और जब यह विवाद थमा को अमेरिका में वाशिंगटन स्थित भारतीय दूतावास प्रवासियों द्वारा इसके इस्तेमाल में अड़चने पैदा कर रहा है। दरअसल, वहां आरटीआई सम्बंधित वो आवेदन स्वीकार नहीं किए जा रहे हैं जिनमें ऐसी सूचनाएं मांगी जा रही हैं, जो उनके पास नहीं हैं।
हालांकि अपने रुख से दूतावास सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की धरा 6(३) की साफ़ तौर प अवमानना कर रहा है जिसमें निर्दिष्ट है कि यदि किसी भी सरकारी विभाग के पास किसी सूचना की जानकारी के लिए आवेदन आए जिससे उस विभाग को सीधा संबंध नहीं है तो विभाग ऐसे आवेदन को 5 दिनों के भीतर ही सम्बंधित विभाग में स्थानांतरित कर दे।
वाशिंगटन स्थित भारतीय दूतावास ने स्वीकारा है कि उनके पास अलग-अलग विषयों पर सूचना मांगने के लिए प्रवासी भारतीयों से आए 45 आवेदनों में से 31 को सिर्फ़ यही जवाब दिया गया है कि वे जो सूचनाएं चाहते हैं उनके लिए अपने आवेदन भारत स्थित विभाग को भेजें। प्रवासियों द्वारा दाखिल आवेदनों में विविध विषयों पर सूचनाएं मांगी गईं हैं। मसलन नर्मदा परियोजना, नंदीग्राम, दाओ केमिकल और भोपाल गैस त्रासदी इत्यादि।
दूतावास ने अपनी वेबसाइट पर यह लिखा है कि प्रवासी भारतीय सूचना का अधिकार अधिनियम, के तहत दूतावास को वे आवेदन ही भेजें जिनमें मांगी गई सूचनाओं का सीधा संबंध दूतावास से हो। जबकि अधिनियम की धरा 6(३) में ऐसी कोई शर्त निर्दिष्ट नहीं है।
जब दूतावास से एक प्रवासी भारतीय ने दूतावास की वेबसाइट में उपरोक्त निर्देश सम्बन्धी फाईल नोटिंग को सार्वजनिक करने की मांग की तो दूतावास को दो टूक जवाब था- वेबसाइट में जो भी सूचनाएं हैं वो लोक सूचना अधिकारी द्वारा भारत सरकार की अनुमति से जारी की गईं है।
अमेरिका में बसे एक अन्य प्रवासी भारतीय विशाल कुडचाडकर ने भारतीय दूतावास से जानकारी चाही कि दूतावास ने कुल कितने आवेदनों को यह कहकर लौटा दिया कि वे अपने आवेदन सम्बंधित विभागों को सीधे भारत भेजें। दूतावास ने जवाब दिया कि यह बताने से आवेदकों के निजता के अधिकार का हनन होगा। दूतावास के जवाब कुछ और हो न हो सूचना के अधिनियम को खुलकर माखौल उड़ रहा है। गौरतलब है कि नई दिल्ली स्थित केन्द्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) अपने सभी फैसलों को आवेदकों के पूरे नाम और पते के साथ अपनी वेबसाइट पर जारी करता है।
हालांकि प्रवासी भारतीय केन्द्रीय सूचना आयोग से भी खासे खफा हैं। उनकी नाराजगी की वजह यह है कि सीआईसी का उनके द्वारा भेजे गए आवेदनों और शिकायतों पर रवैया बढ़ा ढीला-ढाला है।
जब प्रवासी भारतीय आवेदकों ने अमेरिका स्थित भारतीय दूतावास को सूचना का अधिकार अधिनियम की धारा 6(३) का हवाला दिया तो दूतावास ने यह कहकर अपना पल्ला झाड़ लिया कि आवेदकों को अपने आवेदन सम्बंधित विभागों में भेजने के लिए अलग से आवेदन करना चाहिए था।

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