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शनिवार, 15 नवंबर 2008

घर पहुंचा पासपोर्ट

पासपोर्ट बनवाने के लिए आवेदन दिया, विभाग के अनेक चक्कर काटे, लगभग साल भर का समय बीत गया लेकिन फिर भी पासपोर्ट नहीं बना। लेकिन जैसे ही सूचना के अधिकार कानून के तहत अर्जी दाखिल की गई, पासपोर्ट एक महीने में बनकर घर आ गया। यह कहानी दिल्ली के प्रहलादपुर में रहने वाले प्रणब कुमार की है, जिन्होंने 17 अक्टूबर 2007 को पासपोर्ट बनवाने हेतु आवेदन दिया था, लेकिन उनके आवेदन पर विभाग ने कारवाई नहीं की। तीन रिमाइंडर भी विभाग को भेजे लेकिन सब बेअसर। अन्तत: 5 सितंबर 2008 में आरटीआई आवेदन दाखिल कर विभाग से इस संबंध में जवाब तलब किया। जवाब में 1 अक्टूबर को विभाग ने एक खत भेजा जिसमें कहा गया कि पासपोर्ट आवेदन से सम्बंधित उनकी फाईल खो गई थी, जिसे आरटीआई आवेदन मिलने के बाद ढूंढा गया। इस जवाब में तीन बाद ही 4 अक्टूबर को पासपोर्ट बनकर प्रणब के घर पहुंच गया।

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