पृष्ठ

गुरुवार, 16 अक्तूबर 2008

नेताओं के रिश्तेदारों में बंटा किसानों का राहत पैकेज

विदर्भ क्षेत्र के किसान जहां एक तरफ़ गरीबी और भुखमरी के चलते आत्महत्या करने को विवश हैं, वहीं दूसरी तरफ़ उनके नाम पर आने वाला राहत पैकेज नेताओं और अधिकारियों के रिश्तेदारों में बांटा गया है। मामला विदर्भ क्षेत्र के यवतमाल जिले का है जहां प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री की ओर से गरीबी रेखा से नीचे और आत्महत्या करने वाले किसानों के परिजनों को मिलने वाले पैकेज की सांसदों और विधायकों के बीच जमकर बंदरबाट हुई है। यह खुलासा जिले के सामाजिक कार्यकर्ता और पत्रकार विलास वानखेडे़ द्वारा दायर आरटीआई आवेदन के जवाब से हुआ है।
वानखेडे़ ने जिले के एनीमल हसबेंडरी डिपार्टमेंट से राहत पैकेज के लाभार्थियों का विवरण मांगा था। किसानों को मिलने वाले इस विशेष पैकेज में गाय या भैंस की खरीद पर 50 प्रतिशत छूट का प्रावधान था। विभाग से जानकारी मिली कि भूतपूर्व कांग्रेस सांसद उत्तमराव पाटिल और उनके परिवार के सदस्यों ने इस पैकेज के तहत 10 गाय हासिल कीं। क्षेत्र के विधायक डिगरास संजय देशमुख की पत्नी और मां को एक-एक गाय मिली। नागपुर जिले के पूर्व गार्जियन मंत्री शिवाजी राव मोघे के सम्बन्धियों को आठ गाय हासिल हुईं। इसी तर्ज पर वाणी के पूर्व विधायक वामाराव कसावर के 4 सम्बन्धियों को 8 गाय मिलीं, जबकि कांग्रेस नेता सुरेश लोंकर के रिश्तेदारों ने 6 गाय हासिल कीं। सबसे हैरानी की बात है जिस ठेकेदार अमोल क्षीरसागर ने गायों की आपूर्ति की, वह खुद लाभार्थियों में शामिल है। ये पशु तात्कालीन जिला कलेक्टर हर्षदीप कांबले के कार्यकाल में आबंटित किए गए थे। सभी लाभार्थियों का चयन चार सदस्यीय चयन समिति ने किया था और हर्षदीप कांबले समिति के प्रमुख थे।
हालांकि मामले को तूल पकड़ता देख मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख ने मामले की उच्चस्तरीय जांच के आदेश दे दिए हैं। लेकिन इस घोटाले से सरकार की जमकर आलोचना हो रही है क्योंकि लाभ पाने वाले सभी नेता कांग्रेस, एनसीपी और उनकी सहयोगी पार्टियों के हैं।

2 टिप्‍पणियां: