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शुक्रवार, 12 सितंबर 2008

वृद्ध दंपत्ति के लिए वरदान बना आरटीआई

उड़ीसा के पुरी जिले के अनासारा गांव की 68 वर्षीय जनातुन बेगम और उनके 75 वर्षीय पति उहादुल्ला शाह के लिए सूचना का अधिकार किसी वरदान से कम नहीं है। इस अधिकार की बदौलत वृद्ध दंपत्ति को अनाज मिलना फिर से शुरू हो गया है। अंतोदय योजना के तहत मिलने वाला यह अनाज उनके जीवन का एकमात्र आसरा है।
जनातुन बेगम के पति पहले दिहाडी मजदूरी करते थे और अंतोदय कार्ड से मिलने वाले चावल पर निर्भर थे। पिछले कुछ महीनों से उनके कार्ड पर अजान मिलना बंद हो गया। आरटीआई कार्यकर्ता विश्वजीत को जब इस वृद्ध दंपत्ति की दुर्दशा मालूम हुई तो उन्होंने सूचना का अधिकार इस्तेमाल करने और राशन न मिलने की वजह जानने को कहा। लेकिन दंपत्ति राशन डीलर के कठोर व्यवहार से भयभीत थे। अत: विश्वजीत ने उनके पक्ष में आरटीआई आवेदन डालकर अधिकारिओं से जवाब-तलब किया। आरटीआई ने अपना असर दिखाया। एक सप्ताह के भीतर ही सम्बंधित अधिकार और डीलर जनातुन के दरवाजे पर आए और उन्हें एक क्विंटल चावल मुक्त में देकर गए। उस दिन के बाद जनातुन को चावल और जन वितरण प्रणाली का सभी सामान नियमित रूप से मिल रहा है।


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