प्रिय भाइयों,
22 जुलाई 2008 को अपने देश की संसद में हमें एक ऐसा शर्मनाक नजारा देखने को मिला जिसे देखकर लगा कि क्या हमारा देश, उसके सांसद और पूरा का पूरा लोकतंत्र एक मंडी की तरह बनता जा रहा है, जहां नेता खुलेआम बिकते हैं। लेकिन यह तो सच्चाई की एक अंश मात्र ही है। हम सब जानते हैं कि सरकार गिराने और बचाने के नाम पर जो इस संसद के अंदर और बाहर खेला गया वह उससे कहीं ज्यादा है। जितना सामने आया, इसमें सांसदों के अलावा और भी बहुत लोग शामिल हैं। क्या इन लोगों का जुर्म संसद पर हमला करने वाले आतंकवादियों से कम है ? क्या इन पर देशद्रोह का मुकदमा नहीं चलना चाहिए ? लेकिन अब हम क्या करें। यूं ही चुप बैठे रहें ? अगर यूं ही चुप बैठे रहे तो एक दिन यह सांसद हमें और हमारे देश को बेच डालेंगे।आइए हम सब मिलकर जोरदार तरीके से मांग करें कि
१. सरकार बचाने-गिराने के लिए पिछले एक महीनें में जो सांसदों की खरीद फरोख्त हुई, उसकी निष्पक्ष जांच ऐसे लोगों से कराई जाए जिनपर देश को भरोसा हो। दोषी लोगों को जेल भेजा जाए।
२. आईबीएन चैनल ने जो रिकार्डिंग लोकसभा अध्यक्ष को सौंपी है, उसमें हो रही सांसदों की खरीद-फरोख्त को सभी चैनलों के माध्यम से देश की जनता को दिखाया जाए।
३. भ्रष्ट सांसदों, मंत्रियों, प्रधानमंत्री और अफसरों पर मुकदमा चलाने और जेल भेजने के लिए तुरंत लोकपाल बिल लाकर एक शक्तिशाली एवं निष्पक्ष-स्वतंत्र लोकपाल नियुक्त किया जाए।
सत्ता के गलियारों तक इन मांगों को पहुंचाने के लिए सैक़ड़ों लोग रविवार 27 जुलाई, शाम 6 बजे इंडिया गेट पर एकि़त्रत हो रहे हैं। यह आवाहन किसी संगठन या पार्टी का नहीं, आम लोगों का आम लोगों के नाम है। आपका वहां पहुंचना की आपकी आवाज बनेगा।सभी भाइयों से अनुरोध है कि भारी संख्या में रविवार शाम 6 बजे इंडिया गेट पहुंचकर इस आवाज को बुलंद करें।
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